इस अदा को क्या नाम दूं!भय,भ्रम या अफवाह...?:गौतम राणे सागर


 हे दया निधान ! आपके अभिनय क्षमता से मैं मगन हूँ कि  स्वतः ही चहकने लगा हूं । मंत्रमुग्ध हूँ ।आत्म विभोर हूं। आपका ऋण इतना घंड़ा/ बड़ा है, अवाक् हूँ उॠणी कैसे होऊँ ! दिल गद-गद हुआ। डोले बाग-बाग कर रहे हैं । खिलखिला कर हंसते-हंसते पेट दर्द करने लगे हैं। आपको साष्टांग है मसखरा सुल्तान! धन्य है भारतभूमि जहां आप अवतरित हुए। स्वतंत्र भारत 70 वर्षों से आप के अवतरण की प्रतीक्षा में व्याकुल था । आपके दीदार से आत्मग्लानि के स्याह बादल छट गए, सूर्य की किरणों ने ख्वाहिशों की ज्योति जला पूरे तन मन को जगमगा दिया। हर कोई अचंभित है इतना ज्ञान आखिर आपको मिलता कहां से हैं?
       हे कृपालु! रात्रि 8:00 बजे भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आपकी उपस्थिति से देश के प्रत्येक नागरिकों के धमनियों में बहने वाला रक्त सूख जाता है । यह छवि छीनने के लिए आपने जाने कितनी कठोर साधना की होगी, तप की भट्ठी में जले होंगे, नाड़ी शोधन प्राणायाम के तर्पण से आपके 56 इंच के सीने को 26 इंच तक सिकुड़ना पड़ा होगा । उस दैहिक, दैनिक,व दैविक  ताप को सहने की क्षमता आप जैसे विरले दीदावरों में ही निहित होती हैं। आम व्यक्ति को ऐसे दानिश्वरों के दीदार के लिए हजारों साल इंतजार करना पड़ता है। हम तो धन्य हुए। हम उस धरती और काल के आभारी हैं जिसने आप जैसे मार्तंड्य से तेज वाले प्रभामंडल के अद्वितीय मनीषी के युग में हमें जन्मने का अवसर दिया।
   हे पालनहार! आपने अपने तरकश से *जनता कर्फ्यू* का जो अभेद्य तीर निकाला है वह आपके दुश्मनों को खरोच पहुंचाने में भले ही असफल रहा हो परंतु हम जैसे भक्तों के सीने को चीरते हुए हृदय को छलनी अवश्य कर गया है । अब हम शर्त लगा सकते हैं कि शब्दों के भीष्म पितामह आप ही हैं। वैसे मां गंगा के पुत्र को ही भीष्म पितामह कहा जाता है,चाहे वह तीरों की शैय्या पर लेटे हो या आप जैसे वाणी से AK-56 राइफल जैसी रफ्तार से तीर छोड़ने वाले आधुनिक धर्नुधर हों।
    हे गंगा पुत्र! आम जनमानस के खाली दिमाग में यह बात जगह नहीं बना पा रही है कि आखिर आपने जनता कर्फ्यू का दिन 22 मार्च को ही क्यों मुकर्रर किया? रविवार को सप्ताह भर की थकान मिटाने के लिए अधिकांश लोग स्वयं घर में रहने को ही प्राथमिकता देते हैं। आप जनता कर्फ्यू के लिए 20 मार्च भी तय कर सकते थे। एक बात तो तय है कि आप जैसा नटखट दिमाग का अद्भुत व्यक्ति जब भी कोई व्यूह रचना करता है या सेटेलाइट किसी ग्रह पर छोड़ता है तब प्रक्षेपण की अवधि का पूर्वानुमान कर लेता है । हे करूणा के सागर! हमें यह ज्ञात है कि आप अपनी इस कूट रचना का खुलासा नहीं करेंगे, फिर भी आप से विनय पूर्वक एक चिंतन की अनुमति चाहता हूं:- क्या हम आपके नंदी यह विचार करने की गुस्ताखी कर सकते हैं कि जनता कर्फ्यू के लिए 22 मार्च की तिथि आपने इसलिए चुनी ताकि 20 मार्च को 15 महीने से असंतुलित घूमते भाजपा 4 के  सैटेलाइट को मध्य प्रदेश ग्रह में प्रक्षेपित किया जा सके! यकीनन हम भक्तों की तजबीज से आप मंद-मंद मुस्करा रहे होंगे। हम लोग आश्वस्त हैं कि हमारे विनायक का व्यक्तित्व कन्हैया के व्यक्तित्व से घुला-मिला है। जिस तरह से यशोदा मैय्या की दही चुरा कर कन्हैया खा जाते थे उसी तरह हमारे विनायक भी अपने सैटेलाइट प्रक्षेपित करा कांग्रेस के ग्रहों को चुराने में माहिर है ।
  हे कुलीन! खुद को दरिद्र साबित करने के महानायक आपकी एक हल्की मुस्कान हमारे लिए पर्याप्त है हम समझ जाएंगे कि आपने ठीक वही किया है जैसे हम भक्तगण  सोचते हैं। आखिर भक्त और भगवान के बीच में इतनी आपसी तालमेल तो हो ही जाती है।
   हे प्रतिपालक! आपके और आपके दाहिने हाथ मर्यादा पुरुषोत्तम की उपस्थिति में दुनिया को तबाह करने वाली असीमित शक्तियों की स्वामिनी सुनामी भी आपके 56 इंच व आपके अंगद के 76 इंच के सीने से टकराकर अपना अस्तित्व ही खो देगी तो कोरोनावायरस की औकात क्या है। ताली और थाली पीटने की लोगों को आपने जो नसीहत दी है ब्रह्मास्त्र है ब्रह्मास्त्र। पुरातन में भी अनवरत् सफलतापूर्वक इसका प्रयोग होता रहा है आज तक किसी ने प्रश्न नही उठाया। सदियों से दिवाली के भोर प्रहर में पूरा देश सूप पीट-पीटकर दरिद्र भगा रहा है, आज तक भगा क्या? नहीं न ? इसके बावजूद आज तक किसी ने प्रश्न का एक धेला भी नहीं फेंका । कमाल है भगवन्! आप की लीला अपरंपार है। जब तक इस देश में दरिद्र सोच के लोग जिंदा रहेंगे तब तक आप की लीला को कोई खतरा नहीं है। आपने सही शब्द प्रयोग किया है हमारे देश में मंदबुद्धि लोग रहते हैं। इन्हें जब इतना भी एहसास नहीं है कि अधिकतर लोगों की मौत सांप के डसने से नहीं अपितु सांप के डसने के भय की वजह से होती है तब यह कैसे समझ पाएंगे कि कोरोना वायरस भले ही लोगों में भय उत्पन्न न कर पाए परंतु मोबाइल का डायल ट्यून पूरे देश को भयभीत करने में सक्षम है।
  हे समदर्शी! आपकी इस अदा को क्या नाम दूं भय, भ्रम या अफवाह? हम भक्त तो समझते ही हैं कि आपने अपने इस विदूषक मंचन से अपने पाप को बर्फ की सिल्ली के नीचे छुपाकर कोरोना को खलनायक बना दिया है या कोरोना की उपस्थिति तक किसी बड़े पाप को अंजाम दे देंगे, जिसका खलनायक कोरोना ही होगा । रहम की भीख मांगेगा कि
 हमनें तो आपकी दहलीज लांघी भी नही तब भी आपके हथकंडे चढ़ गया । कमाल है आपकी पैनी दृष्टि, हर चीज को आप हथियार बना लेते हैं और अपने विरोधियों का कत्ल कर देते हैं । मुझे भागने दीजिए:। परन्तु नाथ आपकी जकड़ से आज तक कोई छूट पाया है ? आपने ठीक चेतावनी दी है कम से कम अप्रैल के पहले हफ्ते तक कोरोना तुझे रूकना ही पड़ेगा और हमारे डिटेन्शन सेंटर की शोभा भी बढ़ानी होगी । अन्यथा हमारे तोता मैना (CBI&ED) तुम्हें रोकेंगे। हम भक्तों को आप पर पूर्णतःविश्वास है कोरोना वही करेगा जो आप कहेंगे ।
यह अल्पबुद्धि विरोधी समझते हैं कि हम भक्त आपकी लीला के बेतार के तार पकड़ नहीं पा रहे हैं परन्तु यह स्वयं भी नहीं अहसास कर पा रहे हैं कि हम नन्दियों की सक्रियता ने ही
इनकी हो रही विनाश लीला को विकास लीला में परोसा है जो
इनकी समझ से परे है ।
*कोई नृप होई हमैं क्या हानी,चेरी छोड़ि का होबै रानी*
बजाओ ताली और थाली,हम सुनायेंगे गाली ।
गौतम राणे सागर ।

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