कमाल है रुपया 6 अरब से अधिक विदेशी यात्राओं पर खर्च करने व दुनिया को ज्ञान बांटने के अभियान से फुर्सत अभी मिली भी नही थी कि कोरोनावायरस जैसी तुच्छ चीज को निपटाने की मेरी योग्यता पर कुछ लोग प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं । दुनिया के तमाम देश होम आइसोलेशन शब्द को ऐसे गुमान से चिल्ला रहे थे जैसे कि हम इसका हिंदी रूपांतरण नहीं कर पाएंगे । लो कर दिया रूपांतरण वह भी पूरी मारक क्षमता के साथ,*होम आइसोलेशन* मतलब *जनता कर्फ्यू* इस पर सिर्फ भारत की कॉपीराइट है। दुनिया कोरोनावायरस से भयभीत है। उनकी प्रमुख उत्पाद कंपनियां अपने-अपने मूल उत्पादन बंद कर मुखौटा और प्रक्षालक बनाने में व्यस्त हैं। मैं तो मुखौटा और पक्षालक ही कहूंगा। क्यू कहूं मास्क और सैनिटाइजर?नहीं कहता, कर लो जो करना है। आखिर डेढ़ महीने बाद ही सही जब हमने होम आइसोलेशन का अनुवाद जनता कर्फ्यू ढूंढ ही लिया है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के शब्दों का उच्चारण क्यों करूं? मै अपनी जिह्वा पर विराजमान सरस्वती और दिमाग की बत्ती जलाने वाले ब्रह्मा का अपमान कैसे कर सकता हूं! जिस कोरोना वायरस से निपटने के लिए दुनिया जांच टीकाकरण की खोज कर रही है, उस पर मैं अपना समय क्यों बर्बाद करूं और तब जबकि हमारे यहां जब स्वदेशी इलाज उपलब्ध है। हम कोई अमहक थोड़े है जिसे दुनिया के नकल की आवश्यकता है। मेरे ब्रह्म ने सरस्वती के जरिए पूरे देश को सलाह निर्गत कर दिया है कि उन्हें जनता कर्फ्यू का अनुपालन हाल हर हाल में करना चाहिए। साथ ही साथ कोरोना के चमगादड़ों को भगाने के लिए ताली और थाली बजानी शुरू कर देनी चाहिए। वह पिद्दी ताली व थाली से निकलने वाले परमाणु बम को झेल नही पाएगी और न ही भारत की सीमा में रहने का साहस ही दिखा पाएगी । देश सुरक्षित देशवासी प्रसन्न चित्त यही राष्ट्रवादी पहल है।
अपने कर्मयोगी राष्ट्रनायक के आदेशों के अनुपालन में आज देश का प्रत्येक नागरिक तत्पर है। अपने को घरों में कैद रखने और धन्वन्तरि के सुपुत्र महानुभाव अश्विनी चौबे के मशवरे पर समय 1:05 दोपहर में नंगे बदन सूर्य स्नान के लिए भी सहर्ष है । हमें यकीन है द्वय महान विभूतियों को हमारी खुफिया जानकारी के आढ़तियों ने इन्हें गुप्त सूचना अवश्य दी होगी कि दिनांक 22 मार्च 2020 कोरोना वायरस के चमगादड़ों का भारत भूमि पर सुबह 7:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक 14 घंटे का हमला होने वाला है। गुप्त सूचना के आधार पर ही राष्ट्र नायक गंगा पुत्र और उनके अवर सैनिक अधिकारी अश्विनी चौबे ने देशवासियों को यह बहुमूल्य मशवरा दिया होगा। राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए एक दिन के जनता कर्फ्यू के अनुपालन को हम पूरी शिद्दत से निभाएंगे। यदि जरूरत पड़ी तो आजीवन पूरी प्रतिबद्धता से जनता कर्फ्यू को मानेंगे, चाहे बंद कमरे में रहते-रहते हमारी चमड़ी सड़ाध मार-मारकर हमारा अस्तित्व ही क्यों न खो दे। इसके बावजूद हम हिंदू धर्म और राष्ट्र के हित के लिए अपने कंकाल को राष्ट्रनायक को इस मकसद से समर्पित करेंगे कि हमारे कंकाल से हथियार बनाए जाए और उसे राष्ट्रद्रोहियों के संहार के लिए उपयोग किया जाए!
ताली तो हम तब तक बजाएंगे जब तक दोनों हाथ सूज न आ जाएं ! यहां भी नहीं रुकेंगे उन सूजे हुए हाथों से थाली बजाएंगे और यह क्रिया हम तब तक करते रहेंगे जब तक हाथ लहूलुहान होकर पूरे शरीर के रक्त की एक-एक बूँद को भारत माता के चरणों में न चढ़ा दे! चंचल मन में समुद्र मंथन की भांति एक मंथन चल रहा है । उस मंथन से दो प्रश्न निकलते है और वे प्रश्न समुद्र में उठ रहे तूफान के आते जाते हिलोरे की तरह आपस में टकराकर एक दूसरे से संवाद कर रहे है कि इतने के बावजूद यदि कोरोनावायरस का चमगादड़ भयभीत नहीं हुआ और देश पर फिर हमले बोले, तब हम क्या करेंगे? वैसे यह प्रश्न उचित नहीं है क्योंकि उस वक्त जो भी करेंगे गंगापुत्र ही करेंगे। धन्वन्तरि की तमाम सुयोग्य औलादें हमारे बान्धव पहले से ही यह दावा कर रहे हैं कि यह वायरस किसी भी व्यक्ति के शरीर में तब तक रहता है जब तक कि उस शरीर में प्राण है। प्राण निकलने के बाद वह शरीर बदल देता है। शायद चिकित्सा विज्ञानियों का मत इससे अलहदा हो! ऐसी स्थिति में यदि चिकित्सा विज्ञानी सही साबित हुए तो हमें राष्ट्रहित में मरने का फक्र होगा परंतु यदि धनवंतरि की पीढ़ियां सही साबित हुई और कोरोनावायरस हमारे शरीर से निकलकर आप जैसे अवतारी राष्ट्रनायक पुरुषों पर हमला बोल दिया तब हमारे प्राण देने का इतना मलाल अवश्य रहेगा कि एक तरफ हमने राष्ट्र तो बचा लिया परंतु राष्ट्रनायकों को जो कि विष्णु के अवतार के रूप में हमें जगाने आए थे, हमें जगाते-जगाते खुद भी सो गए, उन्हें नही बचा पाए यह टीस कई योनियों तक हमारा पीछा करती रहेगी ! बहुत बुरा लगेगा अपनी असफलता पर अफसोस रहेगा। विरोधी, हरिद्रोही व राष्ट्रद्रोही चाहते हैं कि यदि भक्ति का नशा उतर गया हो तो आधुनिक भगवानों चिकित्सा विज्ञान के पंडितों के अनुसार भी इस कोरोना वायरस से बचने के उपाय पर चर्चा की जाए! इस देश में लोकतंत्र है चाहे उसका अभिनय ही क्यों न हो रहा हो तब भी इन विरोधियों के मशवरे पर अग्रभाग में चर्चा हो ही जानी चाहिए । ठीक उसी तरह इनको मुंह तोड़ जवाब भी दे देना चाहिए जिस तरह हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम संसद में इनका जबड़ा तोड़कर जवाब देते हैं। शेष अग्रभाग में
गौतम राणे सागर ।
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