ख़ौफ़ेजाँ के सौदागर(प्राण-भय के आढ़तिये)


    देश की हिफाजत के लिए प्रत्येक नागरिक अपने शरीर के लहू के एक-एक कतरे को अर्पित करने के अवसर की प्रत्याशा में हमेशा खड़ा है। बार-बार परीक्षा लेने के नाम पर उनमें दहशत पैदा करने की कोशिश क्यों हो रही है?यही सोच-सोच कर दिमाग भन्ना जा रहा है ।कोरोना,कोरोना सुनते-सुनते देश पक चुका है। असहज व भयभीत है। असमंजस में हूँ करूँ तो क्या करूँ? कोरोना से भयभीत होऊँ, दुत्कारू या घर के दरवाजे खिड़कियां व छोटे-छोटे छिद्र बंद कर 12 घंटे इसे तन्हाई में खड़े होने को विवश करूँ ताकि यह कुम्हलाकर अपना अस्तित्व नष्ट कर ले! या खुशआमदेद कह करूँ ख़ैरमक़्दम! इस एक बीमारी ने हमारे देश मे फैली अन्य संक्रमित रोगों जैसे: मलेरिया,चमकी बुखार, चिकनगुनिया, लंगड़ा बुखार, दिमागी बुखार, निमोनिया व अन्य संचारी व्याधियों को डरा कर भगा दिया है। इसके प्रकोप से चिरस्थाई व्याधियां जैसे: बहुमूत्र रोग, उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क रक्तस्राव, थायराइड,कर्करोग, कोलेस्ट्रॉल, हृदय की धमनियों में बाधा इत्यादि रूग्ण अपने-अपने छुपने की सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे हैं। जब सुरक्षित जगह नहीं मिल जाता तब तक अपने को छुपाए रखने के अथक प्रयास में लीन होंगे।
        ज्ञात रहे कि आपराधिक दुनिया में जैसे ही अंडरवर्ल्ड डॉन का प्रवेश होता है वैसे ही सभी तस्कर,टपोरी, हत्यारे, जेब कतरे, लुटेरे, चोर या तो अपने-अपने इलाके बदल देते हैं या फिर डाॅन के सामने समर्पण कर उसके इशारे पर काम करने लगते है ।जिस भयाक्रांत धमक के साथ कोरोना ने एंट्री ली है,तमाम व्याधियों ने या तो स्वयं आत्महत्या कर ली है या फिर कुछ समय तक दुबक कर बैठ जाना ही श्रेयस्कर समझती हैं। इन परिस्थितियों में कोरोना इस्तिक़बाल का हकदार है। हे! व्याधियों के अंडरवर्ल्ड डॉन विश्व गुरुओं की धरती भारत के वसुधैव कुटुंबकम के सांस्कृतिक विरासत में आपका अभिनंदन व वंदन है।
        आप की उपस्थिति ने हमारे देश में भैंस पर विचरण करने वाले यमराज की यात्रा पर विराम लगा दिया है। वह भूखे रहने पर मजबूर 7000 लोगों का व अन्य बीमारियों से ग्रसित 30000 लोगों का प्रतिदिन प्राण हर लेते थे। आप के प्रकोप  ने जब से उनके विचरण पर पहरा लगाया है इस 2 महीने के दरमियान आपके विषाणुओं से सिर्फ 500 लोग संक्रमित या संदिग्ध हैं। अब तक 8 लोगों को ही आपने जीवन से मुक्ति दी है, वैसे भी जिन लोगों की आपके विषाणुओं से मौत हुई है वह जीवन के चौथे पड़ाव पर पहुंच चुके थे। आप ने उन्हें मौत नहीं दी अपितु उन्हें कष्टों से मुक्त किया है मुक्त । आपके इस उपकार के लिए आपके समक्ष घुटने टेक कर दंडवत करता हूं ।
       दुनिया भर के प्राण-भय के सौदागरों ने आपको खलनायक बनाकर प्रस्तुत कर दिया है। पिछले 60 दिनों में यमराज द्वारा भारत में अब तक 18लाख लोगों की जिंदगियां छीन ली गई होती, परंतु आपके नायकत्व ने उन्हें बचा लिया है। यमराज के हाथों क्लीन बोल्ड होने से बचा कर जीवन दे दिया है। आपकी इस निराली अदा से प्राण-भय का सौदा करने वाले आढ़तियों की कहीं आढ़ते तो नहीं बंद हो रही है? जिसकी वजह से आपको देवाधिदेव की उपाधि देने के बरअक्स महामारी के संवाहक प्रत्यय से जोड़ रहे हैं ? यदि दुनिया के अन्य देश आपको खलनायक घोषित करें तब बात समझ आती है क्योंकि वहां दिनचर्या में होने वाली मौतों से इतर आपके विषाणुओं ने अन्य लोगों को काल के रैन बसेरों में स्थाई प्रवेश दे दिया है, परंतु भारत में तो आपने 18लाख मौतों की तुलना में सिर्फ 8 लोगों को ही काल के स्थाई फटे हुए टेंट में भेजा है। मेरी समझ में एक प्रश्न कौंध रहा है कि कहीं प्राण-भय के धंधे में लिप्त लोग आपसे मुक्ति के नाम पर कुछ दवाइयों का इजाद किया हो परंतु वह दवाइयां बिक न रही हो! इन्होंने सोचा होगा कि तब तक  यह दवा नही बिकेगी जब तक दुनिया में लोग आप के प्रकोप से भयभीत नहीं होते! इसीलिए यहाँ आपको नए अवतार में परोसा गया है । यदि एक विश्लेषण कर गंभीरता से देखा जाए तब यही दिखेगा कि स्वाइन फ्लू, H1N1, जिका वायरस, इबोला, निपाह संक्रमित व्यक्तियों में जो लक्षण पाया जाता है वही लक्षण (कोरोना) से संक्रमित व्यक्तियों में भी पाया जाता है। हां!यह सच है कि कोरोना को नए कलेवर में परोसा गया है। अन्य बीमारियों के शिकार निम्न या मध्यमवर्गीय परिवार ही होते थे। इस नए कलेवर मे कोरोना से सिलेब्रिटीज के संक्रमण की कहानी डाली गई है, ताकि पूरी दुनिया में कोरोना से निपटने के प्रति लोग व्यग्र दिखें और सौदागरों के दोनों हाथ में लड्डू हो! नीरज की लाइने: यकीनन आज के भारत के लिए पूर्णतःउपयुक्त है ।

जो लूट ले कहार ही! दुल्हन की पालकी ,
 हालत यही है आजकल हिंदुस्तान की।
गौतम राणे सागर ।

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