स्वाइन फ्लू से यारी कोरोना महामारी...?


हमारे देश में कुछ अजब-गजब प्रहसन चल रहा है । लोगों को समझाने की कोशिश की जा रही है कि अंधे कुएं में नाव बड़ी तेजी से चल रही है। हम ठहरे प्रचारक विचार करने की जहमत क्यों उठाएं! तेज नाव चलना मान लिया ।सहस्राब्दियों से मानते ही आए हैं। मानने से पहले जानने या छानने पर परिश्रम करना हमनें समय का अपव्यय समझा है। आप सभी के सुन्न पड़े मस्तिष्क को झकझोर कर  विचार करने को तैयार करने का एक प्रयास करता हूं । मान लीजिए कोरोना प्रलय मचाने पर तुला है तो क्या हमें इसके सामने समर्पण कर देना चाहिए? नहीं! बिल्कुल नहीं, आपका यही जवाब होगा न । फिर हमें करना क्या चाहिए; इससे लड़ना चाहिए? यदि हां तब कैसे:- यह कोई मनुष्य, प्राणी, पक्षी या सरीसृप तो है नहीं; जो सामने खड़ा हो हमला करेगा, और हम पहचान लेंगे।  यदि वाकई हम इससे निजात पाना चाहते हैं तब हमें इसके उद्गम की खोज करनी होगी। उसकी कमजोरी पहचाननी होगी। इससे निजात पाने की औषधि व बचाव हमें तलाशने चाहिए। दुनिया के किसी देश ने कोरोनावायरस "किन कारणों से पैदा होता है" प्रकाश डालने की आज तक कोशिश नहीं की। कुछ किया भी है तो वह है सिर्फ दहशत फैलाने व भयभीत रखने की पराकाष्ठा तक साजिशें ही की हैं ।

         दो व्याधियों और दो देशों की तुलना तक ही यह समीक्षा सीमित करना चाहता हूं,आवश्यकतानुसार दो व्याधियों के समीक्षात्मक दायरे को बढ़ाया भी जा सकता है। कोरोनावायरस यदि COVID19 है तो H1N1 influenza A (H1N1) pdm09 है । दोनों की भयावहता, प्रचंडता,मारक क्षमता व लक्षण का विस्तार से विवेचनात्मक/विश्लेषणात्मक अध्ययन   आवश्यक है। तभी आम जन मानस की समझ में आ सकता है कि आखिर कोरोना वायरस से दुनिया को भयभीत करने के पीछे की साजिश क्या है? अमेरिका में जनवरी से 26 मार्च तक कोरोना से कुल 1300 मौतें हुई है। जबकि जनवरी के केवल एक माह में ही अमेरिका में इन्फ्लूएंजा से 22000 मौतें हो चुकी हैं। भारत में कोरोना के कुल 724 केस हैं जिसमें 17 मौतें हुई हैं। H1N1 से भारत में 16 फरवरी 2020 को सिर्फ 1 दिन में ही 14 मौतें हो चुकी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में 13 मार्च के एक प्रश्न के जवाब में बताया कि 1 जनवरी से 1 मार्च 2020 तक भारत में स्वाइन फ्लू के 1469 केस थे, जिसमें 30 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है।

       हमारे देश में 24 फरवरी 2020 से उच्चतम न्यायालय के छह माननीय जज H1N1 यानी स्वाइन फ्लू से संक्रमित हैं। वह क्वॉरेंटाइन किए गए हैं । मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे व जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने आदेशित किया है कि न्यायालय के कर्मचारी व अधिवक्ता गण का (vaccination) टीकाकरण किया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने बार की तरफ से टीकाकरण हेतु ₹10लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की। 2020 में स्वाइन फ्लू से संक्रमित पाए गए व्यक्तियों का विवरण इस तरह है:-तमिलनाडु 172, दिल्ली 152, कर्नाटक 151, तेलंगाना 148 इत्यादि । 2019 में स्वाइन फ्लू से हुई मौतों का विवरण  इस तरह है:- महाराष्ट्र 246, राजस्थान 208, मध्य प्रदेश 165, गुजरात 151इत्यादि।

        स्वाइन फ्लू का प्रकोप जनवरी से मार्च व जुलाई से सितंबर तक रहता है। भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक स्वाइन फ्लू से 2012 से अनवरत होने वाली मौतों का विवरण निम्नवत् है:'

 वर्ष          केस             मौत

2012       5044         405

2013       5233         699

2014         937          218

2015      42592       2990

2016        1786          265

2017       38811       2270

2018       15266       1128

2019        28798       1218

2020           1469           30      ।

 *स्वाइन फ्लू के लक्षण*:- तेज बुखार, खांसी, भयानक सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, बहती नाक,आंखों में जलन, गले में खरांस, शरीर और मांस पेशियों में दर्द, उल्टी व पेचिश/दस्त ।

 *कोरोना वायरस के लक्षण*:- बहती नाक, गले में खरांस, खांसी व सांस लेने में तकलीफ (गंभीर प्रकरण में) दोनों बीमारियों के फैलने की प्रक्रिया एक ही है। व्याधिग्रस्त व्यक्ति के छींकते व खांसते समय मुंह व नाक से निकलने वाली बूंदे तथा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर ही दूसरा व्यक्ति संक्रमण का शिकार हो सकता है।

      यद्यपि कोरोनावायरस के टीकाकरण (वैक्सीन) तलाश पर कार्य अभी जारी है, जबकि स्वाइन फ्लू के लिए *फ्लू शाॅट* नाम की वैक्सीन ईजाद हो गई है। दावे के मुताबिक इससे स्वाईन फ्लू  का संक्रमण रुक जाता है, परंतु केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े न सिर्फ इस दावे की धज्जियां उड़ाते हैं अपितु एक नई

कहानी को ही बयां करते हैं। ज्ञात रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्वाड्रीवैलेंट वैक्सीन (वैक्सीन बिद फोर स्ट्रेन) चार तनाव पर संतुलन के लिए इस टीकाकरण की संस्तुति दे दी है। विशेष ध्यान देने योग्य पहलू यह है कि कोरोना से संक्रमित जो व्यक्ति स्वस्थ होकर अस्पतालों से लौटे हुए हैं, उन पर मलेरिया के टीकाकरण को आजमाया गया और सफल रहा है। देश के प्रबुद्ध नागरिकों; अपने दिमाग पर थोड़ा सा जोर डालिए: उपर्युक्त परिस्थितियों का निष्पक्ष भाव से विश्लेषण करिए और अपनी टिप्पणी व्यक्त करें कि हमारी सरकार कोरोनावायरस से अपने देशवासियों को कुछ अधिक ही भयभीत नहीं कर रही है, या विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर कोई बड़ा खेल खेलने की राह पर अग्रसर नहीं है? आपके संज्ञान में यह लाना आवश्यक है कि जी-20 के देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक धन उपलब्ध करा दिया है क्यों ? विचार करें मिलतें हैं अगले भाग में;

नीरज की लाइने कितनी प्रासंगिक हैं;

आग लेकर हाथ में पगले जलाता है किसे,

 जब न ये बस्ती रहेगी तू कहां रह जाएगा?

गौतम राणे सागर ।

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