कहते है नीति और नियति डूब जाती है तो मलाई चहेतों को खिला दिया जाता है। इसका ताजा मामला झांसी के अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग का है जो जनपद जालौन से संबंधित है,जहाँ निविदा के दायित्व प्रधान अधीक्षण अभियंता अवधेश कुमार ने अपने चहेतों को काम देने के लिए नियम रख दिए ताक पर।
ज्ञातव्य है कि कार्य की लागत के हिसाब से यूपी के प्रमुख अभियंता लोक निर्माण द्वारा अपने कार्यालय ज्ञाप 795 BDD-1(NH) 40MT-11/2020 द्वारा मसीनों/उपकरणों आदि की संख्या का निर्धारण किया गया है,जिसमें मोहम्मदाबाद गुरहा रोड ओडीआर जनपद उरई के चौड़ीकरण हेतु एक माह पूर्व प्रकाशित 28 करोड़ की निविदा में **नियमानुसार कंक्रीट पेवर फिनिशर की संख्या 1 मांगी गयी* थी,बताया जाता है कि उक्त निविदा में 8 निविदाकारों ने भाग लिया था,चूंकि निविदाकारों की संख्या अधिक हो गयी जिसके कारण अधीक्षण अभियंता के चहेते को काम मिलना संभव न हो पाया,परिणाम ? बिना कारण के निविदा निरस्त कर दी गयी।
पुनः एक सप्ताह पूर्व वही निविदा प्रकाशित हुई जिसमें अधीक्षण अभियंता द्वारा अपने चहेते को काम देने के लिए कंक्रीट पेवर फिनिशर की संख्या नियमानुसार एक से बढ़ाकर 5 कर दिया गया,घोटाला यही से आरंभ होता है,अधीक्षण अभियंता अवधेश कुमार द्वारा प्रमुख अभियंता लोक निर्माण के आदेश संख्या 795 दिनांक 16/10/2020 को भूल जाते है,
जानकर बताते है कि मुख्य अभियंता के आदेश को दरकिनार करना अधीक्षण अभियंता अवधेश कुमार का *कदाचार है* जानकर ये भी बताते है कि किसी ठेकेदार के लिए ये अतिरिक्त शर्ते जोड़ी गयी है।
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