उतार दिया बक्कल......


   बकलोल बैल जो छुट्टा होता है लोगों की खड़ी खेती चरना अपना विशेषाधिकार समझता है। हाँकने पर किसान को सींगो से उठा फेकने को भी आतुर दिखता है। कुछ को इतना दंभ हो जाता है कि वह किसान की खेती को हथियाकर साँप की तरह उस पर कुण्डली मार कर बैठ जाता है। मालिक को ही धमकी देने लगता है कि खेत के करीब आने की हिमाकत की तो गर्मी उतार दूंगा। लेकिन जब कई किसान एक साथ इकट्ठे हो चारो तरफ से घेर लेते हैं और चारो तरफ से दे लट्ठ, दे लठ्ठ तब छुट्टा सांड की गर्मी उतार कर ही दम लेते है।

    आज उप्र के ग्यारह ज़िलों में फैले 58 विधान सभा के क्षेत्र में शांति पूर्वक सम्पादित प्रथम चरण के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने फुफकारने वाले सांड की बक्कल उधेड़ दी। पांच डिग्री सैल्सियस टेम्परेचर में भी लुहार की धौकनी की तरह गर्म होते बकलोल बैल की ऐसी गर्मी उतारी कि वह अब फुफकारने लायक ही नही बचा। हां चोर दरवाज़े से जिस हाउस में एंट्री मारी है वहां बिलबिला अवश्य सकता है। 

     आज 58 विधान में चुनाव और बीजेपी (भ्रष्टाचार जननी पार्टी) दोनों शान्ति पूर्वक निपट गए। वैसे इन क्षेत्रों में बीजेपी का खाता भी नही खुल पाता परन्तु लोकतंत्र भक्षिणी, सत्तादायिनी, माते ईवीएम का नियोग प्रथा से जन्मे पुत्रों के प्रति अशेष आशीर्वाद और केंचुआ की सदाशयता से 8-10 सीटें हासिल हो सकती है। सपा गठबंधन को 45सीट मिल जायेगी। धैर्य से देखते जाइए मतवाले सांड जो किसानों की खड़ी खेती चर रहे हैं उनके आराम करने का समय आ गया है। चार पैरों वाले सांड से हमें अधिक ऐतराज नही है क्योंकि उनकी कोई सामाजिक ज़िम्मेदारी तो है नही। हां जो दो पैरों वाले सांड चार पैरों वाले सांडों को खलनायक के रूप में प्रस्तुत करके अपने जानवरपन का प्रमाण पत्र बांट रहे हैं उनकी मेहमानवाजी तो ज़रूरी है।

*गौतम राणे सागर*

  राष्ट्रीय संयोजक,

  संविधान संरक्षण मंच।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ