अलविदा मादक.....


पांच राज्यों में भय, भूख, भ्रष्टाचार को अलविदा करने का समय है जनादेश का महोत्सव चुनाव। झूठ, छल, छद्म, फ़ितरत को दंडित और शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के लिए विश्वसनीय दल को सत्तारूढ करने के युद्ध को लोकतंत्र में चुनाव कहते हैं,क्या आप तैयार हैं यदि हाँ; तब परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध मत का सदुपयोग करें। दान, मतदान और अभयदान आपको मिट्टी में मिलाने के उद्गम हैं। 

व्यवसायिक प्रतिष्ठान को व्यवसायिक अड्डे ही रहने दें आस्थावान के आवरण में अपने को लुटवाने का नासमझ कदम कब तक उठाते रहेंगे? क्या समझदार बनना और सचेष्ट रहना असंभव है?

    दोगले नही यथार्थ बहुजन को शीर्षस्थ पर स्थापित करने की प्रक्रिया को ही लोकतंत्र कहते हैं। जिस देश में सत्ता की बागडोर बहुजन के हाँथ हो वही मुल्क सम्प्रभु होता है अन्यथा प्रबंधकीय स्वतन्त्र देश। जिसे अल्पतंत्र कहते है; कुछ लोगों द्वारा संचालित होता है और लोकतंत्र के रक्षक के नाम पर लोकशाही का भक्षण करते लोग खुद को कथित राष्ट्रवादी घोषित करते हैं। कृपया दोगलों से सावधान!

*गौतम राणे सागर*

राष्ट्रीय संयोजक, 

संविधान संरक्षण मंच।

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