अमित शाह की महानता: मायावती


उ.प्र. के चौथे चुनाव के दरमियान अचानक से अमित शाह का बयान आना कि बीएसपी के वजूद को नकारा नही जा सकता। बहन मायावती का कृतार्थ होने वाला धन्यवाद कि अमित शाह की यह महानता है, वह स्वीकार करते हैं कि बीएसपी को कमतर आंकना ठीक नही है। राजनीति की यह जुगलबंदी चुनाव के रूख का क्या भविष्य तय करती हैं? कुछ प्रश्नों के जवाब की सुरागरसी शायद मतगणना तक चले परन्तु इस बयान के मायने क्या हैं? 

    सामान्यत: विपक्ष के बयान पर मज़बूत प्रतिस्पर्धी या तो चुप्पी साध लेते हैं या फिर बयान के रचनात्मक, विध्वंसात्मक, गुणात्मक या व्यंगात्मक कसौटी पर कसने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। समय गंवाए बिना ही बहन जी द्वारा अमित शाह का आभार व्यक्त करना क्या एक मझे हुए राजनीतिज्ञ का बयान है या डूबती नैया को अमित शाह या मोदी की रस्सी के सहारे बचाने का आख़िरी प्रयास?

    2017 के चुनावी समर के आंकलन में बड़े से बड़े राजनीतिक पंडित बीएसपी की सत्ता में वापसी देख रहे थे। जिन मीडिया पर आज बसपा को कमतर आंकने का तोहमत मढ़ा जा रहा वही मीडिया बीएसपी को 165-180 सीट दे रही थी तब अमित शाह ने एक बार भी नही कहा कि बीएसपी के सत्ता वापसी के मार्ग में कोई रोड़ा नही है। अब अमित शाह का बीएसपी के प्रति मोह जागने का राज़ क्या है? बहन मायावती जी को भी यह बेहतर ज्ञात है कि अमित शाह के बयान के साथ खड़े होने का तात्पर्य है कि मुस्लिम मतदाताओं को अपने से दूर करना। फिर बहन जी ने इतना आत्मघाती कदम क्यों उठाया? विचार करने की आवश्यकता है। क्या अमित शाह को बुरी तरह हार का डर सताने लगा है इसलिए वह शर्मनाक हार से बचने के लिए सपा के वोट बैंक में बसपा की एंट्री के ज़रिए सेंध लगाने का जुगत भिड़ा रहे हैं?

      क्या बहन जी ने इस यथार्थ को स्वीकार कर लिया है कि मुस्लिम मतदाता उनकी झोली से छिटक गया है? जिसकी वजह से वह इन मतदाताओं को सहेजने में अपने समय की बर्बादी मानती हैं? यही वजह है कि वह कहीं और सेंध लगाने की जुगाड़ में हैं या अपने पात्र में किसी की कृपा की प्रतीक्षा में? एक बात तो सच है कि उप्र का चुनाव पश्चिम बंगाल की तर्ज़ पर द्विध्रुवी हो चुका है। जिसमें भाजपा और सपा ही सीधी टक्कर होगी। जहां सपा तिहरे शतक की ओर बढ़ रही है वहीं भाजपा दहाई की संख्या को शतक में तब्दील करने को बेचैन है परन्तु प्रतीत होता है कि भाजपा का शतकवीर होने का सपना साकार नही हो पाएगा।

*गौतम राणे सागर*

  राष्ट्रीय संयोजक,

संविधान संरक्षण मंच।

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