केन्द्रीय बजट मे किसानों के हितो की अनदेखी से क्षुब्ध किसान नेता ने सिर मुडवाकर जताया रोष।


हरदोई/बीते मंगलवार को संसद मे वित्त मंत्री ने बजट पेश कर किसानों का हितैषी बजट बताकर अपनी पीठ थपथपाई वही बजट को लेकर जनपद मे मिली जुली प्रतिक्रिया देखने मे आयी।बजट मे किसानों के हितो की अनदेखी से क्षुब्ध भारतीय किसान मजदूर यूनियन दशहरी के जिलाध्यक्ष पुनीत मिश्रा ने अपना सिर मुडवाकर विरोध जताया।बजट पर प्रतिक्रिया देते हुये किसान नेता ने कहा कि भारत सरकार द्वारा बजट को पेश करते हुए किसानों के हितों का हवाला दिया गया उसमें किसानों का हित कहीं पर देखने को नहीं मिल रहा है। 

किसान नेता ने केन्द्र की मोदी सरकार पर करारा हमला करते हुये कहा कि सरकार किसानों के हितो पर ध्यान नही दे रही है। सरकारी व्यवस्था पर चोट करते हुये किसान नेता ने कहा कि क्रय केन्द्रों पर दलालों की मनमानी हावी है।  केंद्र सरकार एमएसपी पर कानून बनाने का प्रस्ताव न लाकर किसानों के साथ छल कर रही है। लखीमपुर मे किसानों पर जीप चढवाने वाला षणयंत्रकारी आज भी केंद्रीय सरकार मे मंत्री बना बैठा है।

 सरकार ने गन्ना मूल्य वृद्धि केवल वोट के खातिर की है जो कि अपर्याप्त है।गन्ना मूल्य का 14 दिन मे भुगतान की बाते हवा हवाई साबित हो रही है।महंगाई का मुद्दा उठाते हुये श्री मिश्र ने कहा कि देश मे महगाई से गरीब किसान मजदूर की कमर टूट गयी है।आमदनी बन्द हो गयी। सरसों का तेल खाने वाले गरीब किसान मजदूर सस्ते रिफाइंड को खरीदने पर मजबूर हो गए हैं।पेट्रोल 100 पर है तो डीजल भी 90 के करीब।कीटनाशक दवाएं और खाद की कीमतें दो गुनी हुईं साथ ही खरीफ की फसल में आपदा की मार से किसान मर रहा है वही आवारा गोवंश किसानों की फसलों को खाये जा रहे है।बाढ़ मुवाबजे के नाम पर लालीपाप दिया जाता है।छोटे एवं लघु उद्योग समाप्त हो गए।सब कुछ प्राइवेट हो रहा है।बिजली भी अपने जगह पर रफ्तार में है।गैस सिलेंडर का दाम 1000 हो चुका है।

सड़कें गड्ढा युक्त है। आखिर गरीब किसान कब तक सामना करेगा इन सरकार द्वारा पैदा की गईं असुविधाओं और समस्याओं का कब तक खुद को ठगा महसूस करेगा हमारा किसान।हर गांव में सरकारी जमीनों पर भू माफिया काबिज हैं।सार्वजनिक शौचालय में ताले लटक रहे हैं।वास्तविक गरीबों को आवास मुहैया नहीं कराए गए।स्कूल कॉलेज बंद है शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ठप है।रोजगार के नाम पर छात्रों पर निर्दयता से लाठी चार्ज किया जा रहा है।अपने हक की मांग को करने पर मुकदमा पंजीकृत किए जा रहे हैं।एक माह में दो बार राशन देकर हमारे किसानों की मदद नहीं उन्हें निकम्मा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आए दिन किसानों के जीवन में बढ़ रही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय किसान मजदूर यूनियन दशहरी संगठन का जिम्मेदार एक छोटा सिपाही होने के नाते छुब्ध एवम दुखी हूं।जिस कारण आज सर से बालों को हटाने बाल मुड़वाने का स्वयं फैसला करना पड़ा।आगे भी किसान मजदूर हित में जो भी उचित होगा वह फैसला लिया जाएगा।किसान मजदूर साथियों के हित की लड़ाई के लिए सदैव समर्पित एवं तैयार हूं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ