अवधी भोजपुरी जैसी बोलियाँ ही हिन्दी की प्राणशक्ति हैं

 


बाराबंकी। बोली भाषा और क्षेत्रीयता के सवाल असल मे अपने को चमकाने के मामले हैं। सभी जानते हैं कि अवधी भोजपुरी जैसी बोलियाँ ही हिन्दी की प्राणशक्ति हैं।

          उक्त विचार  मुख्य अतिथि डॉ सुधाकर तिवारी पूर्व प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय ओबरा सोनभद्र ने अवधी अध्ययन केंद्र उत्तर प्रदेश द्वारा खुमार अकेडमी में आयोजित अवधी काव्यपाठ की शरुवात करते हुए व्यक्त किए। श्री तिवारी ने यह भी कहा कि बोली भाषाओं के विकास हेतु सरकारी प्रयास काफी नहीं हैं जबतक संस्थाएं काम नहीं करेंगे तबतक बोली भाषा की गम्भीरता, सरकारें समझने को तैयार नहीं होतीं हैं।

         


अध्यक्षता करते हुए डॉ श्याम सुन्दर दीक्षित ने अवधी सम्राट डॉ राम बहादुर मिश्रा की तारीफ करते हुए कहा कि अवधी उन्नयन हेतु किये गए भागीरथी प्रयासों के सुपरिणाम आने का समय आने वाला है। अवधी बोली भाषी लोग हमेशा उपकृत रहेंगे।

          डॉ सीताराम सिंह प्राचार्य जनेस्मा ने कहा कि अवध विश्वविद्यालय ने अवधी डिप्लोमा शुरू करके महत्वपूर्ण कार्य किया है। तकनीकी व्यवधान नहीं आया तो शीघ्र ही जनेस्मा में डिप्लोमा पाठ्यक्रम आरम्भ हो सकेगा।

   


इस अवसर पर डॉ राम बहादुर मिश्रा संस्थापक अध्यक्ष अवधी अध्ययन केंद्र उत्तर प्रदेश ने कहा कि बोली भाषा, साहित्य, और संस्कृति के संरक्षण, विकास व शोध को समर्पित यह केंद्र शोधार्थियों के लिए अत्यंत सहयोगी बनेगा तथा अवधी आन्दोलन को आधार प्रदान करेगा।

      डॉ विनय दास के संचालन में सम्पन अवधी काव्य पाठ में डॉ अम्बरीष अम्बर, प्रदीप महाजन, अनिल श्रीवास्तव लल्लू, प्रदीप सारंग,  विष्णु शर्मा कुमार, किरण भारद्वाज, दीपक दिवाकर, साहब नारायण शर्मा, ने काव्यपाठ किया तथा सदानन्द वर्मा, अब्दुल खालिक, तान्या भारद्वाज, अनुपम वर्मा,  विशेष उपस्थिति रहे।

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