ईवीएम मशीन में खराबी की दशा में दो चार घंटे तक चुनावी प्रक्रिया बाधित होना लोगों को उनको अधिकारों से वंचित करने की साज़िश है या नही यदि हां तो बाधा रहित चुनावी प्रक्रिया बैलेट पेपर और बॉक्स पर फिर से लौटना उचित होगा? नियोग प्रथा से जन्मी औलादे शायद इस तर्क से सहमत न हो फिर भी जनता की प्रबल मांग पर केंचुआ (केन्द्रीय चुनाव आयोग) को मजबूरन जनता के सामने मजबूर होना ही होगा।
जब देखिये या तो ईवीएम चुनाव में टांग उठाकर खड़ी हो जाती है या फिर निशाचर रूप में प्रशासनिक गाड़ियों में गुलछर्रे उड़ाती पकड़ी जाती है। शायद चरित्रहीनता की आदत पड़ गई है इसे। एक बार सिर्फ़ एक बार नियोग के लिए हर क्षण उद्दत ईवीएम से मुक्त हो जाइए फिर चमत्कार देखिए आपको न सांड परेशान करेगा और न ही कोरोना वायरस।
*गौतम राणे सागर*
राष्ट्रीय संयोजक,
संविधान संरक्षण मंच।
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