मोनू बेल बीजेपी की होगी ज़मानत जब्त

 


सिलेक्टिव अपराध संरक्षण और क्राइम उन्मूलन का बेहतरीन नायाब उदारहरण है आशीष मिश्रा (मोनू) की बेल। यदि कोई रेबीज फैलाने वाला टॉमी है चलेगा आख़िर कार वह बीजेपी (भ्रष्टाचार जननी पार्टी) की गोद में जो पल रहा है उसे हक है टॉमी का खिताब हासिल करने का। कोई निर्भीक, निष्पक्ष पत्रकार है जो बलात्कार की घटना का कवरेज करेगा हाथरस के सामूहिक बलात्कार के दरिंदो के वहसियानेपन को पब्लिक प्लेटफॉर्म पर लाकर दण्डित कराने व पीड़िता को न्याय दिलाने का प्रयास करेगा तब वह दो साल से भी अधिक समय से जेल मे निरूद्ध होने के बावजूद बेल का हकदार नही है। सिद्दीक कप्पन भारत का एक नागरिक है जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बचाने की चाहत है। न्याय को न्याय और अन्याय को अन्याय कहने की प्रतिभा जिसमे है वह अपराधी है बेल का हकदार नही परन्तु नरसंहार को अंजाम देने वाला बेल का  हकदार है। वाह! गजब की अदा है क्राइम कंट्रोल करने की।

      राहत इंदौरी की कुछ लाइनें का ज़िक्र उचित होगा;

       जहां से गुजरो धुंवा कर दो,

        जहां पहुंचो धमाल मचा दो।

       सियासत ने ये हक़ दिया है तुमको,

       हरी जमीनों को लाल कर दो।।

       अपील भी तुम दलील भी तुम,

       गवाह भी तुम वकील भी तुम।

       जिसे चाहो हराम कह दो,

       जिसे चाहो हलाल कर दो।।

 सैयाद जब निगहबान की भाषा का उच्चारण करने लगे तब वह पहले की तुलना मे अधिक खतरनाक बन जाता है। जब प्रदेश की कानून व्यवस्था को जमींदोज करने का खलनायक ख़ुद को कानून व्यवस्था के अनुपालन का महानायक घोषित करे और विपक्ष भी कानून व्यवस्था दुरूस्त करने का ही वादा करे तब साधारण नागरिक आख़िर क्या करे? बहेलिया और प्रतिपालक मे अन्तर करने की सलाहियत क्या आम नागरिक मे है?

      विपक्ष को जांच एजेंसी की इस सिलेक्टिव लचर ठवन से कोर्ट में पैरवी की साज़िश को उजागर करने की जरूरत है। यदि चहारदीवारी में बंद न्यायालय के आदेश संदिग्ध लगे या सरकार की पैरवी कमज़ोर या पक्षपाती महसूस हो तब इस केस को जनता की अदालत में ले जाने की आवश्यकता है। सरकार जिस बेल को अपनी रणनीति की सफ़लता मानती है। एक जाति विशेष के मतों का ध्रुवीकरण का ख़्वाब पाले बैठी है उसके हर सेलेक्टिव, पक्षपाती गतिविधियों को निर्मूल करना विपक्ष के लिए चुनौती है स्वीकार करना चाहिए। मतदाताओं से इनकी ज़मानत जब्त कराने की अपील करनी चाहिए ताकि कुख्यात लोगों को विख्यात होने से रोका जा सके।

*गौतम राणे सागर*

 राष्ट्रीय संयोजक,

संविधान संरक्षण मंच।

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