सपा दो तिहाई बहुमत की ओर......


 पश्चिमी उप्र के 11जनपदों के सम्पन्न चुनाव के स्पष्ट संकेत यह हैं कि प्रदेशवासियों को केरल की तर्ज़ शत प्रतिशत शिक्षा की आवश्यकता है। कच्छा बनियान गिरोह के थेथ्रोलॉजी का प्रतिकारक पश्चिम बंगाल भी चाहिए। प्रकृति की वादियों से घिरा कश्मीर, आस्था की अतुलनीय वैष्णो देवी का जम्मू और जड़ी बूटियों की विरासत का लद्दाख भी चाहिए। भारत को दुनियां के विकसित देशों के समानांतर आर्थिक सक्षमता के शिखर पर खड़ा करने का दृष्टिकोण भी चाहिए और ब्लूप्रिंट भी। नही चाहिए तो नशेड़ी प्रतिनिधि जो खुद को तथाकथित शासक मान बेलगाम हो जाते हैं। अंडरवर्ल्ड के लोगों को बगल में खड़ा कराकर हाथ की दूरबीन बना सामने भीड़ में अपराधी तलाशते हैं। जो थूक लगाकर प्रचार के पर्चे बांटते हैं और कोरोना कैरियर का कार्य करते हैं। सज़ा भुगतते हैं हम आम नागरिक।

     


हमें नही चाहिए कुलदीप सिंह सेंगर विधायक जो बलात्कार करता है और बीजेपी (भ्रष्टाचार जननी पार्टी) उसे अपनी गोंद में बिठाकर इस डर से हिफाजत करती है कही पुलिस आंखों के तारे के अपराधो की प्राथमिकी न दर्ज़ कर ले। उन्नाव जनपद बलात्कारियों के लिए शरणगाह बन गया है उर्वरक भूमि। नशे में धुत ऐसी सरकार भी नही चाहिए जो बलात्कारियों को संरक्षण और पीड़िता को प्रताड़ना के लिए सरकारी आतंकवादी भेड़ियों के हवाले कर दे। कुलदीप ही क्यों हमें शाहजहापुर का स्वामी चिन्मयानंद भी नही चाहिए जो वस्त्र धारण करता हो सिद्ध पुरूष और लीन रहता हो रासलीला में। विरोध करने पर पीड़िता जेल की सलाखों के पीछे और बलात्कारी पंच सितारा रूपी अस्पताल में आरामतलबी करे। हाथरस को कैसे सहन कर सकते हैं जहां गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार सरकारी आतंकवाद का मुखिया तथाकथित जिलाधिकारी लक्षकार सिंह रात्रि के 2.30 बजे परिजनों के गिड़गिड़ाने के बावजूद जबरदस्ती लाश जला देता हो। बलरामपुर की घटना को भी विस्मृत नही किया जा सकता।

       हमें नही चाहिए वह दुर्व्यवस्था जहां अपने ही देश में हमें अपनी नागरिकता सिद्ध करनी पड़े। वह भी उन नशेडियों के फरमान पर जो हमारे ही आदेश से वहां पहुंचे हैं। सत्ता में पहुंचे अव्यवस्थित मनोवृत्ति के हिटलरी शासकों के राजज्ञा का लोकतंत्रात्मक  गणराज्य में जनता के विरोध करने के स्वरुप से अपनी असहमति व्यक्त करने के पवित्र तरीकों को सरकारी आतंकवादी हथकंडों से कुचलने का कुचक्र और शुद्ध आन्दोलन को साज़िश करार देने की मनोवृत्ति की पुनरावृत्ति असहनीय है।

       कमला थिर नही रहि सकत यह जानत सब लोग,

        पुरख पुरातन की बहु क्यों न चंचला होय।

  अभी पहले चरण का चुनाव ही सम्पन्न हो पाया है कि सत्तादायिनी, नियोगप्रथा गामिनी, लोकतंत्र भक्षिणी, निशाचर विचरणीय माते ईवीएम नियोग प्रथा से जन्में अपने पुत्रों की सहायता हेतु कैराना में भटकने लगी हैं। चरित्रहीन ईवीएम से चरित्रवान आचरण की अपेक्षा ठीक वैसे ही है जेसे ख्वाजासर:(हिजड़े) से संतान उत्पत्ति की ख्वाहिश।

     हमें चाहिए विद्यालय, विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, टैक्निकल कॉलेज, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार की प्रतिभूति। चाहिए अपराधियों से बेरहमी और निर्दोषों से नरमी रखने वाली पुलिस। खाकी वर्दी में सरकारी आतंकवाद नही चाहिए। इन्हीं मुद्दों पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11जनपदों ने जनादेश दिया है। शेष 64 जिले अपने आदेश देने की प्रतीक्षा में तैयार है। नशा उतारने को व्यग्र हैं। प्रदेश की 403 सीटों वाली विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से नई चुनी जाने वाली विधानसभा में सपा के विधायकों को भेजने का मन उप्र की जागरूक जनता बना चुकी है। थूक लगाकर प्रचार सामग्री बांटने वाले दूरबीन से अपने विधायकों को किसी रेगिस्तान में निहारते नज़र आयेंगे।

     हम भूलें नही हैं वे दर्द जो मिले हैं हजारों किलोमीटर भूखे पेट, प्यासे हलक और नंगे पांव चलते चलते जख्मी होकर छिले हुए पैरों के तालू से। जिस तरह खाकी यूनिफॉर्म में सरकारी आतंकवादियों के हाथों चीन से आयातित लाठियों से हमारे नितम्बों/चूतड़ों की चमड़ियां उधेड़ी गई है वह दिल दहला देने वाले दिन रात आज भी याद आते हैं। आंखों से आंसू नही लहू छलकते थे। क्या हम इन पाजियों को यूं ही बख्श देंगे? अब वक्त है किरायेदारों को अपने घर से खदेड़ने का। उनके द्वारा दिए गए ज़ख्मों के हिसाब किताब करने का। 

*गौतम राणे सागर*

  राष्ट्रीय संयोजक,

संविधान संरक्षण मंच।

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