फेल इंजन हुआ और बदले जा रहे हैं डिब्बे। बेशर्मी भी एक बार शर्म से लाल लाल हो जाएगी परन्तु राजनीति को प्रा. लि. में तब्दील करने वाले लोग पूरे चिकने घड़े हैं।
फिर बीएसपी(बहन जी सम्पत्ति परियोजना) में वसूली अमीनों की छटनी शुरू है।
कांशीराम साहब ने जब मतदाताओं को बिकाऊ से टिकाऊ बना दिया तब तथाकथित चेली ने मतदाताओं को स्टाॅक में बेचना शुरू कर दिया।
कभी जोनल कोआर्डिनेटर और कभी मुख्य सेक्टर प्रभारी का करोड़ो रूपये लेकर फ्रैंचाइजी दिये गये अब उत्पादन खराब होने पर उत्पादक के बरक्स फ्रैंचाइजी होल्डर को भगाया जाना कहाँ तक उचित है?
कबाड़ा हुए इंजन को बदले!
*गौतम राणे सागर*
राष्ट्रीय संयोजक,
संविधान संरक्षण मंच।
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