हमारे घर-आंगन में चहकती-फुदकती गौरैया का दिन


अपने छोटे से आकार वाले खूबसूरत पक्षी चिड़िया या गौरैया का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था और बच्चे बचपन से इसे देखते बड़े हुआ करते थे। अब स्थिति बदल गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है। घरों को अपनी चीं..चीं से चहकाने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती और कहीं..कहीं तो अब यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती। 

पहले यह चिड़िया जब अपने बच्चों को चुग्गा खिलाया करती थी तो इंसानी बच्चे इसे बड़े कौतूहल से देखते थे। लेकिन अब तो इसके दर्शन भी मुश्किल हो गए हैं और यह विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई है।  गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया इतिहास की चीज बन जाए और भविष्य की पीढ़ियों को यह देखने को ही न मिले।

विश्वभर में पिछले बारह वर्षों से गौरैया दिवस  मनाया जा रहा है। आज गौरैया सिर्फ पुस्तकों, कविताओं में ही है। गांव में यदि कभी कोई गौरैया दिख जाए तो बच्चे बड़े और सभी लोग झूम उठते हैं लेकिन समस्त मानव समाज के लिए शर्म की बात है कि गौरैया अब विलुप्ति की कगार पर है और इसका संरक्षण हमारा कर्तव्य होना चाहिए जो कि आज भी नहीं है, बस इसी बात को याद दिलाने के लिए और जागरूकता बढ़ाने के लिए हम प्रतिवर्ष विश्व गौरैया दिवस मनाते हैं।


*विश्व गौरैया दिवस 2022 थीम*

इस वर्ष विश्व गौरैया दिवस 2022 की थीम 'आई लव स्पैरो’ (I Love Sparrow) है। विश्व गौरैया दिवस मनाने का एक उद्देशय यह भी है कि हमारे युवाओं प्रकृति के प्रति उत्साही, लोगों को गौरैया से प्रेम करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।



*विश्व गौरैया दिवस का इतिहास*

विश्व गौरैया दिवस, नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया  के साथ-साथ फ्रांस की इकोसेज एक्शन फाउंडेशन की शुरू की गई एक पहल है। सोसाइटी की शुरुआत फेमस पर्यावरणविद् मोहम्मद दिलावर ने की थी। उन्हें 2008 में Time Magazine (American news magazine) ने  Heros of the Environment (हीरोज ऑफ एनवायरमेंट) में शामिल किया गया था। साल 2010 में पहली बार 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) मनाया गया। इसके बाद हर साल 20 मार्च को यह दिवस (Sparrow Day) मनाया जाता है। 20 मार्च 2011 को गौरैया संरक्षण और पर्यावरण के कार्य में मदद करने वालों को सम्मानित करने के लिए (एन.एफ.एस.) NFS द्वारा गुजरात के अहमदाबाद में ‘गौरैया पुरस्कार’ की भी शुरुआत की गई। इसका मुख्य मकसद पर्यावरण और गौरैया संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं ऐसे लोगों की सराहना करना है।

*कौन है गौरैया?* 

गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस (Passer domesticus) है। यह पासेराडेई परिवार का हिस्सा है। सामान्य नाम हाउस स्पैरो है, विश्व के विभिन्न देशों में यह पाई जाती है। यह लगभग 16 सेंटीमीटर के होती है और विंगस्पैन 21 सेंटीमीटर होते हैं। मतलब बहुत ही छोटी होती है। शहरों के मुकाबलों गांवों में रहना इसे अधिक सुहाता है। इसका अधिकतम वजन 25 से 30 ग्राम तक होता है। यह कीड़े और अनाज खाकर अपना जीवनयापन करती है। शहरों की तुलना में गांवों में रहना इसे ज्यादा पसंद है। 

विश्व गौरैया दिवस मनाने का एक उद्देशय यह भी है कि हमारे युवाओं प्रकृति के प्रति उत्साही, लोगों को गौरैया से प्रेम करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

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