सरकार चाहती है संवैधानिक संस्थाओं से मुसलमान निराश हो जाएं ताकि इनकी जवाबदेही खत्म हो जाए


कुछ जजों के फैसले भी हिंसा करने वालों को प्रेरित कर रहे हैं


लखनऊ, 18 अप्रैल 2022। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज कर देश भर में रामनवमी का जुलूस निकालने के बहाने मुस्लिम समुदाय के इबादतगाहों पर हमला करने वाले संघी गुंडों के खिलाफ़ कार्यवाई करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देशित करने की मांग की है।

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में बताया कि विभिन्न ज़िला इकाइयों ने ज़िला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा और मस्जिदों और मज़ारों पर भगवा झण्डा फहराने और पथराव करने वाले संघ परिवार और भाजपा से जुड़े गुंडों के खिलाफ़ सख़्त क़ानूनी कार्यवाई करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देशित करने की मांग की क्योंकि भाजपा शासित राज्य सरकारें और यहाँ तक की दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार भी क़ानून सम्मत कार्य नहीं कर रही है। वो पीड़ित मुस्लिमों के ही घर तुड़वा रही हैं, उन्हें गिरफ्तार कर प्रताड़ित कर रही हैं और संघ से जुड़े गुंडों के खिलाफ़ कार्यवाई न कर उन्हें आगे भी ऐसी हिंसा करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि राष्ट्रपति महोदय अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी को समझते हुए राज्य सरकारों को दोषियों के खिलाफ़ कार्यवाई करने के लिए निर्देशित करें। 


शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अराजकता का यह देशव्यापी माहौल एक सुनियोजित साज़िश के तहत बनाया जा रहा है जिसका मकसद मुसलमानों के लिए एक स्थाई भय का माहौल बनाना है। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यचकित करने वाला है कि ऐसी घटनाओं पर न तो अदालतें ही स्वतः संज्ञान ले रही हैं और ना तो राष्ट्रपति ही कुछ बोल रहे हैं। हत्या करने की खुलेआम धमकी देने वाले भाजपा के गुंडों के खिलाफ़ अदालतें यह कह कर कार्यवाई करने से मना कर दे रही हैं कि हत्या की धमकी हँसते हुए दी गयी थी इसलिए ऐसा करना अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले सुनाने वाले जजों के कारण संघ और भाजपा से जुड़े गुंडों का हौसला बढ़ रहा है और वो मुसलमानों के ऊपर और हमले करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के एक हिस्से द्वारा अपराधियों का मनोबल बढ़ाने का ऐसा उदाहरण शायद ही किसी देश में देखने को मिलता हो। 

शाहनवाज़ आलम ने बताया कि ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय को याद दिलाया गया है कि देश के बिगड़ते आंतरिक स्थितियों पर पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों के सार्थक हस्तक्षेप की समृद्ध परंपरा रही है और उन्हें भी इस गौरवमयी परंपरा का निर्वहन करते हुए लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आना चाहिए। 

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि मोदी सरकार चाहती है कि संवैधानिक संस्थाओं का इस हद तक मुसलमानों के खिलाफ़ इस्तेमाल किया जाए कि मुसलमान वहाँ जाने को व्यर्थ समझने लगें और इन संस्थाओं की जवाबदेही अपने आप खत्म हो जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा सोचना सरकार के ट्रैप में फंसने जैसा होगा। इसलिए न्यायपालिका, राष्ट्रपति, कार्यपालिका, पुलिस हर संवैधानिक संस्थान पर कानून सम्मत काम करने के लिए दबाव डालते रहना लोकतंत्र को बचाने के लिए ज़रूरी है।

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