भव्यता से मना साहू जी का जन्मोत्सव
उद्यान भवन के प्रेक्षागृह में आयोजित साहू जी महाराज जयंती कार्यक्रम भव्य समारोह में तब्दील हो गया। साहूजी के सम्मान के प्रति लोगों में अतुलनीय और गजब का जोश दिखा। सभा की अध्यक्षता गौतम राणे सागर राष्ट्रीय संयोजक संविधान संरक्षण मंच और सफ़ल संचालन एड नीलम अंबेडकर ने किया।
गौतम राणे सागर ने अपने संबोधन में कहा कि साहूजी महाराज ने छात्रवृत्ति स्वीकृत कर बाबा साहेब डॉ आंबेडकर को अमेरिका उच्च शिक्षा के लिए भेजा साथ ही साथ उनकी नैतिकता/दायित्व भी निर्धारित किया कि शिक्षणोपरांत बड़ौदा रियासत के लिए आपको अपनी दस साल सेवाएं देनी पड़ेगी। सेवाएं निर्धारित करने का साहूजी का तरीका निराला था उन्हें महसूस हुआ कि शायद समाज की अधिकारिता के लिए मेरे अलावा भी एक सुशिक्षित व्यक्ति की जरूरत होगी। डॉ आंबेडकर में उन्हें यह काबिलित कूट कूट कर भरी नज़र आई।
20-21मार्च 1920 को मनगॉव में आयोजित कॉन्फ्रेंस में लोगों के बीच डॉक्टर आंबेडकर का साहूजी ने इस तरह परिचय कराया *यह उत्पीड़ित समाज के एक सच्चे नेता हैं*। इस गांव में जैन, मराठा और दलित जातियां निवास करती थी। दलितों की मालीय हालत बहुत ही दयनीय थी। उन्हें एक ऐसे नेता की आवश्यकता थी जो उन्हें इंसान होने का हक़ दिला सके। साहूजी ने डॉ आंबेडकर को अपने रियासत के मूल मंतव्य को पूरा करने के लिए उपयुक्त समझा और अपने लक्ष्य में काफ़ी हद तक सफ़लता अर्जित की।
बाबा साहेब डॉ आंबेडकर ने असमानतावादी ताकतों के खूनी पंजों से लम्बी लड़ाई लड़ी, दलित आदिवासी समाज को राजनीति और नौकरियों में आरक्षण दिलाया परन्तु बाबा साहेब से बड़ी चूक हो गई। इनसे कोई एमओयू साइन नही कराया परिणाम सब के सब निकम्मे निकल गए। दलित ब्यूरोक्रेसी जिसे समाज के उत्थान के प्रति सजग होना चाहिए था अपने ऐश्वर्य और मस्ती में लिप्त हो गई। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स की वाणी विलासिता से इतर सोच ही नही बढ़ी। परिणाम सबके सब डिफॉल्टर लेकिन आरोप सिर्फ़ राजनीतिक लोगों पर। कितना उचित है, विमर्श होना चाहिए।
मुख्य अतिथि: रामदास आठवले केंद्रीय मंत्री ने दलों की संकीर्णता से ऊपर उठकर अपनी बात रखी। कहा साहूजी महाराज और बाबा साहेब आंबेडकर के सपने का भारत बनना चाहिए। हमें हर असंवैधानिक क़दम कर विरोध करना चाहिए चाहे वह क़दम हमारे नेता ने उठाया है या फिर विपक्ष के।
इलियास आजमी ने कहा कि आवश्यकता है देश में भाई चारा के मज़बूत जोड़ को बनाए रखने की, तभी देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रह सकती है।
लालमणि प्रसाद पूर्व मंत्री ने कहा आरक्षण लागू हुए 72 साल हो गए लेकिन एससी का कोटा अभी तक 7% भी नही भरा गया। पिछड़ों का तो बहुत ही बुरा हाल है।
डॉ आर एस जैसवारा ने कहा कि साहूजी महाराज का समानता का दृष्टिकोण था वह समान शिक्षा के पक्षधर थे।
डी के दोहरे ने कहा हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए , गांव में हमारे समाज का बहुत ही बुरा हाल है। ग्रामीण क्षेत्रों में हमें समाज को शिक्षित करने के लिए निरन्तर प्रयास करने की जरूरत है।
डॉ अनीस अंसारी आईएएस ने कहा हमें किसानों के समक्ष आए दिन खड़ी हो समस्या के निदान ढूढने की कोशिश करनी चाहिए। सरकार के सौतेलेपन के व्यवहार ने होने कंगाल बना दिया है।
वी पी सिंह आईएएस ने कहा कि साहूजी महाराज के विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने की वर्तमान में प्रबल आवश्यकता है।
खुशबू गौतम ने अपने सहेलियों संग मुख्य अतिथि का स्वागत किया, विमला देवी और उनके साथ आए सहयोगियों ने भी स्वागत किया। विमला देवी ने कहा हमें इस देश को बाबा साहेब आंबेडकर के सपनों भारत बनाना है। साहू जी न केवल बाबा साहेब को छात्रवृत्ति देकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहयोग किया अपितु समाज कल्याण के लिए उन्हें एक प्लेटफॉर्म भी दिया।
मिर्ज़ा इमरान, सुल्तान अली खां, अमित, खान गुफरान चांद, महेश कुमार, गंगा राम चौधरी, राम लौट बौद्ध, विनीता सिंह थिएटर नायिका, बी एल राव, रिजवान चंचल इत्यादि ने अपने संबोधन में साहूजी महाराज के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का प्रारम्भ श्याम कुमार द्वारा लिखित, मंचित एकल नाटक*अंगुलिमाल*से हुआ। इनकी अदाकारी बेमिसाल लोग एकटक देखते रह गए। किसकी ने पलक झपकने का यत्न भी नही किया, सभी को विभोर गया इनका मनमोहक संवाद, कदमों की चाल, भाव भंगिमाओ का कुटिल नृत्य।
संविधान संरक्षण मंच।
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