दक्षिण कोरिया के 200 सदस्यीय दल ने महापरिनिर्वाण मंदिर में की विशेष पूजा
कसया/कुशीनगर।।दक्षिण कोरिया के 200 सदस्यीय शिष्ट मंडल भारत-दक्षिण कोरिया के मैत्री संबंध के 50 वर्ष पूरे होने पर 43 दिवसीय यात्रा के दौरान होली के पावन पर्व पर कुशीनगर पहुंचकर रामाभार स्तूप और महापरिनिर्वाण मंदिर में विशेष पूजा की। दल ने दो राष्ट्रों कोरिया गणराज्य और भारत में सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अंतर देशीय सहयोग मजबूत करने के साथ ही मध्य मैत्री संबंधों को और प्रगाढ़ और दीर्घकालिक बनाए रखने के लिए विश्व शांति एवं विकास सहित खुशहाली की कामना की। इस दल में कोरिया से यात्रा में सदस्य जिनमें बौद्ध भिक्षु के साथ अति विशिष्ट लोगों समेत उनके सहायक शामिल है। बिहार के बोधगया से पैदल (चारिका) करते हुए यह दल बुधवार को भगवान बुद्ध द्वारा जल ग्रहण करने वाली कुकुत्था नदी पर रुककर जल आचमन किया।
उसके बाद निरंकारी संत समागम भवन पर इस दल का जिला प्रशासन एवं स्थानीय बौद्ध भिक्षु, राष्ट्रीय स्वयंसेवक के साथ भाजपा के पदाधिकारियों ने इनके ऊपर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। भारतीय संस्कृति व बौद्ध परंपरा में हुए स्वागत के दौरान लोगों ने कोरियाई दल पर फूलों की पंखुड़ियां व सुगंधित जल की वर्षा की। दल के समक्ष भारतीय लोक कला संस्कृति से जुड़े अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। कलाकारों द्वारा पारंपरिक वाद्य यंत्र होली गीतों की प्रस्तुति कर दल का स्वागत किया गया। यह दल गोपालगढ होते हुए कुशीनगर पहुंचा। जहां रामाभार स्तिथ मुकुट बंधन चैत्य की विशेष पूजा की। दल रात्रि विश्राम किया। गोपालगढ़ तिराहे पर जिला संघचालक डा. चन्द्रशेखर सिंह के नेतृत्व में पुष्प वर्षा एवं भगवा गमछा पहनाकर स्वागत किया गया। स्वागत करने वालों में मुख्यरूप से विश्व हिंदू परिषद के प्रान्त संगठन मंत्री परमेश्वर, पूर्व विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी, हाटा विधायक मोहन वर्मा, जिला प्रचारक राजेश, सुरेश, देवेन्द्र, शैलेश, पयोदकांत, मुकेश त्रिपाठी,रामबचन, सत्यप्रकाश, डा. अनिल सिन्हा, गोविन्द चतुर्वेदी, डा निगम मौर्य, अनिल प्रताप राव, ओमप्रकाश जायसवाल, कृष्ण कुमार, राकेश जायसवाल, महेंद्र मणि आदि मौजूद रहे।
यात्रा के 29 वे दिन बृहस्पतिवार की सुबह यह दल महापरिनिर्वाण मुख्य मंदिर में भगवान बुद्ध की लेटी प्रतिमा पर चीवर चढ़ाकर विश्व शांति और मानव कल्याण की पूजा की। उसके बाद मंदिर परिसर में घंटो भगवान बुद्ध से जुड़े सभी स्थलों का स्मरण करते हुए पूजा अर्चना की। इस दौरान कोरियाई गुरू छासुंग ने भगवान और उनके उपासक आंनद की व्याख्या कर कोरियन बौद्ध श्रद्धालुओं को बताया। यह शिष्ट मंडल भगवान बुद्ध के आए हुए मार्गो पर चलकर विस्तार से जानकारी ले रहे हैंऔर पूजा अर्चना कर रहे हैं।
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