हमें अंबेडकर का संविधान चाहिए न कम न अधिक

 


"महामहिम राष्ट्रपति"   श  अंबेडकर जयंती सत्यपथ गोरखपुर

ज्ञापन 

"हमें अंबेडकर का संविधान चाहिए न कम न अधिक"

द्वारा 

श्रीमान आयुक्त गोरखपुर।

"महामहिम"

इस देश का पतन और कितना होगा? जिस देश में"समता पुरुष"संविधान निर्माता"अंबेडकर की प्रतिमा पर लोग नहीं जाते परंतु रामनवमी दुर्गापूजा कृष्ण जन्माष्टमी कर्बला   ईस्टर आदि 'पंथीय नफरत'पंथीय हुड़दंग"अंधविश्वास"की जुलूस लेकर सड़कों पर चलते हैं।"अंधविश्वास"आपराध" आधारित ऐसा कृत्य दुनिया के किसी मुल्क में नहीं होता।

संविधान में "अपने पसंद का पंथ"स्वीकार करने"पंथ" मनाने की आजादी" प्रत्येक व्यक्ति को है परंतु संविधान के 'रिलिजियस फ्रीडम'में पंथ के नाम पर हुड़दंग प्रतिबंधित है 

संविधान में रिलिजियस फ्रीडम की मूल मंशा सड़कों पर नफरत की जुलूस निकालना नहीं वरन शांतिपूर्ण ढंग से अपने निजी पंथ में विश्वास है।

रिलिजियस फ्रीडम का दुरुपयोग इस देश के पंथ परस्त' ताकतों एवं नेताओं द्वारा सत्ता हासिल करने के एक "बेहतरीन हथियार" के रूप में किया जा रहा है।

किसी"पंथ विश्वासी "द्वारा सड़क पर जुलूस निकालना असंवैधानिक है।"रिलिजियस फ्रीडम"इसकी अनुमति नहीं देता। इसलिए ऐसे कृत्य को "क्रिमिनल ऑफेंस"घोषित किया जाए। इसलिए भी इसे अपराध घोषित किया जाए क्यों कि इन जुलूस में "आपराधिक कृत्य" होते हैं, किए जाते हैं" जिससे लोगों की मौतें होती हैं।जो रिलिजियस फ्रीडम की मूल मंशा के विरुद्ध। 

संविधान का अंतिम उद्देश्य जीवन' एवं समानता' की रक्षा है  


संपूर्णानंद मल्ल

पीएचडी इन आर्कियोलॉजी इंडोलॉजी हिस्ट्री देलही यूनिवर्सिटी। ग्रैजुएटेड इन हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, एंड पोलिटिकल साइंस।

9415418263, snm.190907@yahoo.co.in

 स्वैच्छिक रक्तदाता सरकार, गोरक्षब्लड बैंक।

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