कानपुर,सरसौल की घटना को लेकर आत्माराम चाइल्ड केयर अस्पताल में हुई बेसिक लाइफ सपोर्ट एंड एडवांस कार्डिक ट्रेनिंग
मानव जीवन हमारे लिए अमूल्य व अनमोल अवश्य है लेकिन जोखिमों से भरा है। हमें हर रोज़ आफिस,कालेज समय से पहुंचने व व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा की भागदौड़ की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। दैनिक जीवन की इसी भागदौड़ और आपाधापी में ज़रा सी चूक किसी दुर्घटना का सबब बन सकती है। अभी हाल ही में कानपुर नगर के नर्वल तहसील स्थित तालाब में बच्चों की डूब कर हुई दुःखद मौत के बाद इस चर्चा को जन्म मिला है कि अमूल्य जीवन को बचाने सम्बन्धी प्राथमिक सुरक्षा की जानकारी हर व्यक्ति को अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। यदि मौके पर मौजूद बचाव करने वाले लोग सीचसी ले जाने से पहले उन बच्चों को प्राथमिक जीवन सुरक्षा दे सकने में समर्थ होते तो इनमें कुछ के जीवन बचाए जा सकते थे। इसी आकस्मिक ट्रेनिंग को आवश्यक समझते हुए आत्माराम चाइल्ड केयर अस्पताल व मीशिका सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डा0 सुरेंद्र पटेल, डा0 अभिषेक श्रीवास्तव, डा0 विनय बाजपेई, डा0 अर्पिता बाजपेई डा० शिव कुमार के संयुक्त प्रयास से बेसिक लाइफ सपोर्ट एंड एडवांस कार्डिक लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग में आकस्मिक दुर्घटना में किसी व्यक्ति के अमूल्य जीवन को बचाने के कारगर उपाय बताए गए।
डा0 सुरेंद्र पटेल व डा0 विनय बाजपेई ने बताया कि आकस्मिक दुर्घटना में घायल हुए अन रिस्पॉन्सिव मरीज को फर्स्ट रिस्पांडर द्वारा सर्व प्रथम उसके दोनों कंधों को थपथपा कर रिस्पांस देखना चाहिए। इसके बाद मरीज की कीरोटेड पल्स जो की गर्दन में होती है और साथ ही छाती पर आंख लगा कर रिस्पेटरी रिस्पांस चेक करेगें। इन सब क्रियाओं मात्र 10 सेकेंड में करना है इसके बाद सीपीआर देना प्रारम्भ करेंगे। चेस्ट कंप्रेशन तीस बार दिया जाता है। चेस्ट का डिप पांच से छै सेंटीमीटर छाती में होना चाहिए। इसी क्रम में कानपुर नगर की प्रसिद्ध गायनी डा अर्पिता ने गर्भवती महिलाओं को सीपीआर देने के बारे में बताया। उन्होंने कहा जीवन अनमोल है फिर भी जानकारी के आभाव में आम जन गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के समय मोल भाव के चक्कर में किसी दाई या अन्य अस्पतालों के चक्कर में पड़ कर जच्चा या बच्चा को खो देते हैं। उन्होंने आम जन को सलाह देते हुए कहा कि पोस्ट पार्टम हेमब्रेज डिलीवरी के समय जच्चा की मृत्यु का बड़ा कारण हो सकता है जिसमे अधिक रक्त स्राव को रोक पाना बड़ी चुनौती होती है। इस लिए गर्भवती महिलाओं को सदैव एसे अस्पताल में दिखाएं जहां अनुभवी गायनोलाजिस्ट चाइल्ड स्पेशलिस्ट के साथ आईसीयू और एनआईसीयू की सेवाएं उपलब्ध हों।
डा० एस. के. मिश्रा ने बच्चों को सीपीआर देने के तरीकों की जानकारी दी।
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