दिल्ली पुलिस ने बेटियों को बेरहमी से घसीटा

 


"महामहि राष्ट्रपति   3 1मई 23 सत्यपथ,महामहिम                              सत्य एवं अहिंसा की जरूरत जितनी निजी जीवन में  है उससे अधिक सार्वजनिक जीवन में। सरकार अपने  विरोधियों को शक्ति से कुचल देती है इसमें अहिंसा कहां ?

दफ्तरों में खासकर पुलिस स्टेशन में गांधी एवं अंबेडकर की फोटो लगी रहती है और वहां पिटाई ,गाली, गलत मुकदमें दर्ज किए जाते है।हमारी पीढ़ी के लोग गांधी ,अंबेडकर की हत्या रोज एवं बार-बार करते हैं

"मैं मानता हूं आज बेटियां विलाप कर रही है। तिरंगा रो रहा है,भारत रो रहा है। बेटियों को दिल्ली पुलिस कूड़े की तरह बटोर रही थी।यह दृश्य भारत के  142 करोड़ लोग जिसमें लगभग 60 करोड़ युवा है अपनी नजरों से देख रहे थे"। 


बेलगाम एवं  दिल्ली पुलिस ने बेटियों को बेरहमी से घसीटा तिरंगे को पैरों तले कुचला। मेरा एक ही प्रश्न है कि शांतिपूर्ण ढंग से सभा के लिए जाती हुई बेटियों को हाथ कैसे लगाया ? ब्रिटेन के क्रैकस्टन हाल में जब उधम सिंह माइकल ओ डायर पर  गोलियां बरसा रहे थे उस वक्त एक महिला सामने खड़ी थी। केस के ट्रायल में महिला उद्यम सिंह से यह पूछी "तुमने मेरे ऊपर गोली क्यों नहीं चलाई"उधम सिंह ने कहा "हमारी संस्कृति स्त्रियों पर हाथ उठाने की अनुमति नहीं देती" 

सुरक्षा की शपथ लेने वाले वर्दीधारी इंसानियत के दुश्मन बन गए। जंतर मंतर से उनके लोकतांत्रिक आशियाने उखाड़ दिए। सारी घटनाएं दिल्लिका"दिल्ली" के दिल में घट रही थी। इंसाफ का धंधा करने वाले वकील एवं न्यायधीश विवस नेत्रों से देखते रहे।यदि यही लोकतंत्रात्मक गणतंत्र"है तब मैं इसका बार-बार विरोध करता हूं। हम विवेकानंद भगत सिंह टैगोर गांधी की संतान नहीं हो सकते। क्योंकि हम बेटियों की रक्षा नहीं कर सके।

"पूरा देश हमारे साथ है फिर भी हम बच्चे हैं------ हमने ऐसा कभी नहीं  देखा ---एक महीने से सिर्फ न्याय के लिए बैठे हैं" विनेश फोगाट।

अपनी पूरी ताकत से यह कहना चाहता हूं कि आज मैं निराश हूं। परंतु 5 जून को जब मैं संसद भवन के सामने सत्य एवं अहिंसा आधारित सत्याग्रह "आमरण अनशन" प्रारंभ करूंगा तब मैं अपने सभी प्रश्नों के उत्तर चाहूंगा।

भारत की पहलवान बेटियों,पहलवानों विनेश फोगाट साक्षी मलिक बजरंग पूनिया आदि ने अपनी जांघो एवं भुजाओं की ताकत से विश्व के पहलवानों को अवनी पर चित कर दिया परंतु आज दिल्ली की क्रूर पुलिस न्यू दिल्ली की सड़कों पर घसीटा। बेटियां रोती रही ।अपने बचाव के लिए कुछ बोलती रही परंतु तानाशाह प्रधानमंत्री और उनकी क्रूर हुकूमत ने एक न सुनी। इस तरह का करुण रुदन मदुरई नगर में रहने वाली सती कन्नगी ने की उसके करुण रुदन से मदुरई नगर आग में जलकर भस्म हो गई। जिस संगोल एवं चोल सत्ता का उल्लेख किया गया है उसी चोल काल में एक धनी नगर मधुरा एवं कावेरिपट्टनम का उल्लेख तमिल महाकाव्य शिल्पादिकारम में है जिसका विस्तृत उल्लेख "द वंडर दैट वाज इंडिया" में ए एल बाशम नामक एक ब्रिटिश हिस्टोरियन ने किया है जिन्हें भारत के अतीत से  बेहद प्रेम था। याद रखिएगा जब स्त्रियां अपनी आबरू के लिए करुण रुदन करती हैं तब उनका रुदन  ऐतिहासिक तथ्य बन जाता है।।रावण ने सीता हरण किया द्रोपती को भरी सभा में स्व बंधुओं ने नंगा करने का प्रयास किया ।लंका राख में तब्दील हो गई हस्तिनापुर कुरुक्षेत्र की मिट्टी रक्तवर्णी हो गई। महाकाव्यों में उल्लिखित इन घटनाओं का राजनीतिक महत्व क्या था कहना मुश्किल है परंतु तीनों ही महाकाव्य में अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित की गई है 


मैं उस बृजभूषण का नाम नहीं लेना चाहता लेकिन आज जो कुछ हुआ है उसके अपराध एवं कुकर्म का परिणाम है यदि सर्वोच्च न्यायालय की परम सम्माननीय न्यायाधीश बीबी नागरत्ना के अधीन स्त्रियों की कमेटी यौन शोषण की जांच करें तभी सच्चाई तक पहुंचा जा सकता है। विगत 30 वर्षों में जिस पर 3 दर्जन से अधिक आपराधिक केस दर्ज होने के बावजूद माननीय बनकर संसद की शोभा बढ़ा रहा है विगत 10 वर्षों तक WFI चेयरमैन था उसको बिना जेल में डालें कोई जांच कैसे संभव है? असंभव।

संसद पर 142 करोड़ों जन' गण'का समान अधिकार है और जन गण का मुखिया प्रेसिडेंट है इसलिए संसद पर संवैधानिक अधिकार राष्ट्रपति का है उसका उद्घाटन उसके द्वारा होना चाहिए या उसकी उपस्थिति में उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री और सभी सांसदों की उपस्थिति में जिस किसी के द्वारा,जिसे सर्वसम्मति से तय किया गया हो संसद का उद्घाटन करें ।संसद प्रधानमंत्री या किसी पार्टी का निजी कार्यालय या घर नहीं है। वह भारत का भवन है और उसके उद्घाटन की तिथि सर्वसम्मति से तय होनी चाहिए ।यदि संसद शहादत एवं कुर्बानी का भौतिक रूप है तब तो भगत सिंह सुखदेव राजगुरु के शहादत दिवस 23 मार्च या पंडित राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खां रोशन सिंह राजेंद्र लाहिड़ी के कुर्बानी दिवस 19 दिसंबर से अच्छी कोई तिथि नहीं हो सकती ।यदि किसी के जन्मदिन चयनित किया जाना हो तो समता पुरुष संविधान निर्माता अंबेडकर के जन्मदिन 14 अप्रैल एवं राष्ट्रपिता गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर क्यों नहीं। स्वतंत्रता दिवस 15अगस्त एवं गणतंत्र दिवस 26 जनवरी हिस्टोरिक डेट्स है जिनको हम कैसे भूल सकते? 

भारत का कोई भी व्यक्ति हमें यह बताएं कि भवन की भव्यता दिव्यता विशालता से लोकतंत्र का क्या सम्बंध है भवन का लोकतंत्र नहीं होता लोकतंत्र जनता का होता है लोगों का होता है। 

जीएसटी टोल टैक्स डीजल पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने से महंगाई रूपी क्राइम ने लोगों के पेट की अंतड़ी खींच ली है। जितना पैसा सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर खर्च हुआ है इतने पैसे से सैकड़ों कृषि आधारित इंडस्ट्री बैठाई जा सकती थी जिससे बेरोजगारी दूर होती गरीबी मिटती।पैदा सामान बाहर भेजकर हम रुपया कमा लेते और हमारी गरीबी मिट जाती। परंतु  सेंट्रल विस्टा निर्माता रूप में नरेंद्र मोदी इतिहास में दर्ज होने से वंचित रह जाते।  वायसराय इरविन ने सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली (संसद)का निर्माण कराया  परंतु इरविन ने भगत सिंह सुखदेव राजगुरु की फांसी पर अपनी मुहर लगा दी।

 मनमोहन सिंह अन्ना हजारे रतन जी टाटा नजमा हेपतुल्ला वेंकैया नायडू जस्टिस मार्कंडेय काटजू महान मानवीय जस्टिस एन वी रमन, मेधा पाटकर ,नदीम हसनैन ,धुलीपुड़ी पंडित जस्टिस बीवी नागरत्ना आदि कुछ ऐसे लोग हैं जिनको मिलाकर एक राष्ट्रीय सरकार बनाई जा सकती है। महंगाई रूपी क्राइम भारत में गरीबों के पेट की अंतड़ी निकाल रहा है और विश्व विख्यात अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह सुब्रमण्यम स्वामी सत्ता के आसपास है।

वैसे किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट हंसी और प्रशंसा उसका निजी गुणधर्म है परंतु जब बेटियों और तिरंगे को दिल्ली पुलिस क्रूरता से सड़कों पर घसीट रही थी और बेटियां रुदन कर रही थी ऐसे में महामहिम के चेहरे पर प्रसन्नता एवं नए संसद भवन की तारीफ? बेटियों के दर्द के लिए जुबान न खोलना एक शब्द न बोलना ? राष्ट्रपति भवन से 2 किलोमीटर की दूरी पर यह घटनाएं घट रही थी पूरे दिन तांडव का मंजर चलता रहा भारत का गणतंत्र वायसराय इरविन के बनवाए वायसराय हाउस जिसे आज राष्ट्रपति भवन कहा जाता है, शाम होते-होते बेदम हो गया। बेटियां पकड़ ली गई उनके आवाज के आशियाने उजाड़ दिए गए। 

प्रधानमंत्री ने डेमोक्रेसी कॉन्स्टिट्यूशन रिपब्लिक कमजोर किया है यदि वे इस्तीफा दे दें या राष्ट्रपति उन्हें बर्खास्त कर दें तो इसे रिपेयर किया जा सकता है मैं जानता हूं न तो प्रधानमंत्री इस्तीफा देंगे न राष्ट्रपति उन्हें बर्खास्त करेंगीं। फिर तो गणतंत्र की गरिमा बचाने का विकल्प है राष्ट्रपति का इस्तीफा 

मैं किसी भी गिरोह बंद दल का दलाल नहीं हूं । बेरोजगारी गरीबी महंगाई सांप्रदायिकता जातीयता नारी बलात्कारियों हिंसा शिक्षा एवं चिकित्सा खुले बाजार व बेचना आदि जैसी सभी समस्याएं सत्ता में पहुंचने के लिए विधायिका के सदस्यों के कारण पैदा हुई है 

मैंने 21 मई मेकर ऑफ मॉडर्न इंडिया की शहादत दिवस पर जंतर-मंतर से 2 ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल दिल्ली प्रेषित किया था।

मैं किसान पुत्र किसान हूं अपने पेट के लिए एवं एक लाख लोगों के एक दिन के खाने का अनाज पैदा करता हूं। दिल्ली विश्वविद्यालय के विख्यात इतिहास विभाग से आर्कियोलॉजी इंडोलॉजी हिस्ट्री मे मैं पीएचडी हूं। 50 यूनिट रक्त अपने मित्रों के साथ सरकार एवं गोरक्ष ब्लड बैंक को डोनेट कर चुका हूं। विगत 35 वर्षों में 10 हज़ार पेड़ो का एक उद्यान लगाया हूं जो हजारों लोगों का जीवन स्रोत ऑक्सीजन देता हैं ।दो हजार पुस्तकों की निजी "शांतिवन पुस्तकालय"में गरीबी एवं संप्रदायिकता के विनाश पर  शोधरत हूं। मैं किसी भी गिरोह बंद दल का दलाल नहीं हूं मैं यह जानता हूं कि देश की सभी समस्याओं के जनक विधायिका के सदस्य

हमे भगत सिंह के समाजवाद"गांधी के स्वराज" एवं अंबेडकर के संविधान"चाहिए। इसके लिए 5 जून से संसद भवन पर सत्याग्रह प्रारंभ करूंगा।  

37 दिनों तक शांति एवं अहिंसा के गांधीवादी मार्ग पर चलकर रेसलर महाबलियों ने सत्याग्रह किया।परंतु जिस क्रूरता से उन्हें कुचला गया है।मैं बहुत दुखी हूं। मैं मानता हूं मेरे हिस्से में इंकलाब है। परंतु मेरा इंकलाब सत्य एवं अहिंसा से अभिन्न है। 

5 जून को सुबह मैं गांधी की समाधि पर जाऊंगा जो सत्य अहिंसा के पुजारी की समाधि है जहां पहुंचकर भीतर का सत्य अहिंसा जीवित हो जाता है। 

इस अवसर पर बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर से लाये गए एक नीम एक पीपल वृक्ष संसद भवन के निकटतम जहां मिट्टी हो क्रमशः महामहिम राष्ट्रपति एवं परम सम्माननिय मुख्य न्यायाधीश द्वारा रोपे जाएंगे जो एक दशक बॉद 1000 सांसदों के लिए प्राणवायु ऑक्सीजन देंगे।

क्या प्राण की साइज भी बड़ी छोटी होती है? जब भ्रष्टाचारी

बलात्कारी क्रिमिनल्स सांप्रदायिकता जातिवाद फैला कर वोट हासिल करने वाले मंत्रियों को जेड प्लस सुरक्षा दी गई है तो एक सत्याग्रही को क्यों नहीं?

कॉपी टू :-अति सम्माननीय अन्ना हजारे,गृहमंत्री

,उपराज्यपाल दिल्ली, मुख्यमंत्री दिल्ली ,डी सी पी दिल्ली,मंडलायुक्त गोरखपुर,ए डी जी गोरखपुर

संपूर्णानंद मल्ल            सत्यपथ ps शाहपुर गोरखपुर

पीएचडी इन हिस्ट्री देलही यूनिवर्सिटी। ग्रैजुएटेड इन हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, एंड पोलिटिकल साइंस।

9415418263, 9415282102 snm.190907@yahoo.co.in

स्वैच्छिक रक्तदाता सरकार, गोरक्षब्लड बैंक

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