परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश संविधान पीठ"
28मई23 सत्यपथ
"हमें संविधान चाहिए न कम"न अधिक"
""नए संसद भवन के उद्घाटन में डेमोक्रेसी''कॉन्स्टिट्यूशन" सेकुलरिज्म"कहाँ है....? प्रधानमंत्री ने तीनों की हत्या कर दी। इसलिए इसका उद्घाटन "राष्ट्रपति"द्वारा मंत्रोचार से नहीं वरन "प्रिंबल ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन जो जीवन"एवं मनुष्यता"की रक्षा का महामंत्र है,किया जाए।""
"परम सम्माननीय न्यायालय"
मैं जानता हूं कि संसद भवन का उद्घाटन न मंत्रों से किया जा सकता है न कुरान की आयतों से ।बावजूद इसका उद्घाटन मंत्रोचार के बीच प्रधानमंत्री द्वारा"राजतंत्र के दैवी स्वरूप"(संगोला) के साथ कर दिया गया। हमारे बीच के कुछ लोग जिन्होंने सत्ता झूठ'नफरत'एवं हिंसा' के सहारे हासिल की है लोकतंत्रात्मक गणराज्य"पर गर्व कर सकत हैं
पाखंड कर्मकांड"जटिल"एवं गूढ़"मंत्रोच्चार द्वारा संसद भवन का उद्घाटन मानो किसी पंथ एवं व्यक्ति का अपना निजी रिलीजियस भवन हो। पार्लियामेंट के उद्घाटन में मंत्रोच्चार का पाखंड क्यों..? संविधान इसकी अनुमति नहीं देता। किसने इसकी इजाजत दी..? और यदि नहीं दी तो सत्ता डिक्टेटरशिप से किस प्रकार भिन्न है..?
विधायिका के निर्वाचित सदस्य कब तक संविधान के पन्ने फाड़ते रहेंगे? नए संसद भवन का नामकरण" उद्घाटन की तिथि" उद्घाटन करने वाले व्यक्ति?सब कुछ "मनमाना"एवं असंवैधानिक"
इतिहास का शोधार्थी होने के कारण जब मैं अतीत में झांकता हूं,"रिकंस्ट्रक्ट द पास्ट"तो यह सोचने पर विवश हो जाता हूं कि क्या भगत सिंह सुखदेव राजगुरु, (23 मार्च लाहौर जेल) बिस्मिल अशफाकउल्ला रोशन सिंह राजेंद्र लाहिड़ी (19 दिसंबर गोरखपुर फैजाबाद नैनी गोंडा जेल)ने क्या फांसी का फंदा ऐसे ही रिपब्लिकन डेमोक्रेसी' के लिए गले लगा लिया? देखते ही देखते विधायिका चोर भ्रष्टाचारियों व्यभिचारिओं, बलात्कारियों, अपराधियों, सांप्रदायिकता फैलाने वालों जातीय जहर घोलने वालों से भर गई।
Copy to: हॉनरेबल CJ इलाहाबाद CJ डेल्ही हाई कोर्ट
संपूर्णानंद मल्ल
सत्यपथ गोरखपुर
पीएचडी इन हिस्ट्री देलही यूनिवर्सिटी। ग्रैजुएटेड इन हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, एंड पोलिटिकल साइंस।
9415418263, 9415282102 snm.190907@yahoo.co.inस्वैच्छिक रक्तदाता सरकार, गोरक्षब्लड बैंक।
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