महामहिम राष्ट्रपति"
9 बजे 23 मई
"दाल150/kgक्यों?यह असंवैधानिक है और अपराध भी है, ठीक उसी तरह जैसे राजतंत्र में राजा करते थे और "मूल्य"मनमर्जी बढ़ाते थे, आज लोकतंत्र में भी. हमारे लिए लोकतंत्र सिर्फ वोट देना है? 15 दिन पहले, अरहर दाल की दर ₹115/kg थी.
पानी में बनी तरकारी और "महामहिम" दाल रोटी चटनी खाकर जीने वाले हिंदुस्तानवा में ₹150 किलो की दाल बेचना क्रूरता है, गरीबों के पेट पर लात है. यह अंग्रेजी हुकूमत की तरह निर्दयतापूर्वक लूट है.(दादा भाई नौरोजी पॉवर्टी और भारत में अनब्रिटिश रूल कानून)
₹150 प्रति किलोग्राम की खुली दाल की कीमत क्यों है?100 करोड़ गरीब कंगाल जिनका मुख्य पेशा मजदूरी है, 10 किलो अनाज पर कैसे जीवित रहेंगे? दाल का अर्थ है "पुअर मेंस प्रोटीन". महंगे तेल के कारण गरीब पानी में तरकारी बनाकर खाने वाले कर्मचारियों और उनके बच्चों को प्रोटीन की कमी भी होगी.
मैं महंगाई को असंवैधानिक और अपराध भी मानता हूँ. असंवैधानिक क्योंकि जीवन हमारा मौलिक अधिकार है (आर्टिकल 21) और कोई भी व्यक्ति उसे छीन नहीं सकता, लेकिन महंगाई गरीबों का जीवन छीन रही है और उन्हें कुपोषित कर रही है यही कारण है कि महंगाई असंवैधानिक है. यह अपराध है क्योंकि दाल रोटी खाकर जीवित रहने की कोशिश करने वाले गरीब मर जाएंगे.
लगभग 20 करोड़ लोग हैं जिन्हें ₹500/kg दाल बेचने से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन 120 करोड़ किसानों, मजदूरों, छोटे व्यापारी अधिकारियों का जीवन कैसे चलेगा?
142 करोड़ों लोगों में से किसी को नहीं पता कि रात में दाल इतनी महंगी क्यों हुई? दाल ने कहा कि दर में इस तरह की वृद्धि कोई तानाशाही सरकार नहीं कर सकती क्योंकि लोकतंत्र ऐसी दरवृद्धि नहीं करता.
दालों की दर को तुरंत नियंत्रित करने का उपाय:-
- पांच साल के लिए रहर दाल को 100 रु प्रति किग्रा पर नियंत्रित करें. इसलिए अन्य दालों की कीमतें भी. यदि ऐसा नहीं हो पा रहा है, तो लागत पर सब्सिडी दें. इसके लिए, विधायकों और सांसदों की वार्षिक 20 हजार करोड़ रुपये की लुटपाट निधि को तत्काल बंद करना चाहिए.
- प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री देश में जहाज यात्रा रोकें. इस देश के विधायिका और कार्यपालिका के सदस्य बिलासी जीवन जीते हैं, लोगों की गाढ़ी कमाई और पेट की अंतड़ी निकालने की कीमत पर. जनप्रतिनिधियों का जीवन महंगा है, जैसे वायसराय, डिप्टी गवर्नर, गवर्नर, ICS और IP.
- सदन में वरिष्ठ अर्थशास्त्री मानवीय मनमोहन सिंह सुब्रमण्यम स्वामी जयराम रमेश से तुरंत चर्चा हो.
यदि यह असमर्थ है, तो लोकतांत्रिक सरकार गिरफ्तार हो जाएगी. थोड़ी सी विधायिका चोर, लुटेरे, व्यभिचारी, बलात्कारी, क्रिमिनल और सांप्रदायिकता फैलाने वाले हैं, इसलिए कुछ अच्छे लोगों जैसे मनमोहन सिंह, अन्ना हजारे, रतन जी टाटा, वेंकैया नायडू, नजमा हेपतुल्ला, जस्टिस मार्कंडेय काटजू, मेधा पाटकर, नदीम हसनैन, प्रशांत भूषण, महान माननीय न्यायाधीश एन
मैं राष्ट्रपति भवन से अनुरोध करता हूं कि जीवन से संबंधित उक्त प्रश्नों पर हमें जवाब दें, ताकि मैं लोकतंत्रात्मक गणतंत्र में अपनी भागीदारी महसूस कर सकूं, क्योंकि मैं "चुकी अनाज" (ऑक्सीजन) रक्त के रूप में जीवन रक्षा एवं भारत सृजन में भी योगदान देता हूँ. मैं एक गिरोह का दलाल नहीं हूँ. सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली स्टेट्स असेंबलीज के प्रति मेरा सम्मान भगत सिंह महात्मा गांधी से कम नहीं है.
मैं लगातार पत्र और ज्ञापन राष्ट्रपति भवन को भेज रहा हूँ, लेकिन कोई जवाब नहीं आता. मैं गणतंत्र का एक सदस्य कैसे हूँ?जिस दिन मैं संसद के सामने सत्याग्रह पर बैठूँगा, उस दिन फरिश्ता ने हिंदुस्तानियों की चमड़ी उधेड़ कर अंग्रेजों द्वारा बनाया गया इस संसद में पारित अमनुष्यता के कानून का हिसाब माँगूँगा. मैं सत्य, "अहिंसा" और "संविधान" में दृढ़ विश्वास के कारण यह बात कह रहा हूँ.
कॉपी: उपराष्ट्रपति स्पीकर, फाइनेंस मिनिस्टर, पीएमएम
श्री संपूर्णानंद मल्ल सत्यपथ, पीएस, शाहपुर, गोरखपुर
9415418263, snm.190907@yahoo.co.in
0 टिप्पणियाँ