21वीं सदी जल जंगल जमीन विनाश की सदी


5 जून पर्यावरण दिवस

                       "शोधपत्र"  पर्यावरण विज्ञान
                       संपूर्णानन्द मल्ल*पी एचडी,हिस्ट्री डी यू
                       snm.190907@yahoo.co.in

 "21वीं सदी जल जंगल जमीन विनाश की सदी" 
   
    जब पेड़ हमें नहीं काटते तब हम पेड़ क्यों काटते हैं।?
    पेड़ काटकर एक्सप्रेसवे निर्माण पर्यावरण विनाश है"
   "लोग भवन सड़क रेल निर्माण को विकास कहतें हैं "
   परंतु यह जल जंगल जमीन विनाश का बदला रूप है।"
                                                  
आज तक हम यह समझ पाने में विफल हैं कि"वायु''प्राण से अभिन्न है। वैसे हम 'प्राणवायु' बोलते"लिखते आ रहे हैं फिर भी इस मामले में अगंभीर हैं।जीवन मां देती है और ऑक्सीजन पेड़ पौधे। मृत्यु का अर्थ है शरीर में ऑक्सीजन का प्रवेश बंद हो जाना। हममें से 99% गॉड को मृत्यु का कारण मानते हैं। यह पर्यावरण विनाश का एक कारण है। निःसन्देह वैदिक लोग भौतिकवादी थे जो प्रकृति"पर्यावरण के महत्व को समझते थे।


बिलासी विकास की आधारशिला रखता मानव विनाश की आधारशिला भी साथ साथ रहता जाता है। पर्यावरण विनाशी लोग इसे गॉड की देन मान लेते हैं। परंतु भौतिक विकास" पादप पशु जगत मिट्टी और मिट्टी के नीचे संसाधनों का परिवर्तित रूप है। इसको मैं एक उदाहरण से समझाता हूं आप एक एक्सप्रेसवे बनाते हैं एक्सप्रेसवे आसमान से गिरा हुआ नहीं होता वल्कि जमीन पेड़ पौधे तालाब पोखरी मानव संसाधन आदि के विनाश का दूसरा रूप होता है।

यदि काटें न तो हमें पेड़ पौधे लगाने की जरूरत नहीं। 

नौटंकी करने से पर्यावरण विनाश नहीं रुकेगा। कुछ मूर्ख ऐसे भी है जो गंगा में पुष्प एवं रसायन डालकर गंगा प्रदूषण रोकने की बात करते हैं। लोग गंगा के उद्गम स्थल से लेकर उसके अंत तक गंगा के किनारे शहर बसा कर रहते हैं और उनके मल मूत्र कचड़े उनकी फैक्ट्रियों से निकली गंदगी विभिन्न रसायन पशुओं के शरीर अवशेष उनके चमड़ी शोधन की गंदगी गंगा में डालते है।

पर्यावरण विनाश रोकने का छोटा छोटा नैसर्गिक उपाय बताता हूं इसके लिए लोगों को कुछ भी खर्च नहीं करना है 

★लोगों को फोर लेन सिक्स लेन जहाज तीन एवं चार लाइन वाली रेल परियों का निर्माण बिना बहस स्थगित करना चाहिए इससे विकास नहीं पर्यावरण विनाश रुकेगा।जिस व्यक्ति ने भारत में पश्चिम के एक्सप्रेसवे मॉडल को इंट्रोड्यूस किया है यकीन मानिए उसने भारत की आत्मा पर ही प्रहार कर दिया है 100 वर्ष बाद इस भारत की पहचान मिट जाएगी जहाँ हजारों साल पुरानी सभ्यता थी
★अब और अधिक जमीनों की छाती चीरने,पेड़ काटने,  तालाब भरना,अपराध घोषित किया जाय।
★ कृषि योग्य जमीन बचायी जाय 
★ घर बनाने के अतिरिक्त अब एक इंच जमीन नष्ट न करें।
★एक उपचार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी शादी एवं बच्चों के पैदा होने पर वृक्ष लगाए 
★पीपल नीम आम जामुन महुआ पांच मेडिसिनल प्लांट में से कोई जो उसके जमीन एवं पर्यावरण के अनुसार सूट करें।
★कृषि पशुपालन व्यापार वाणिज्य जिसे "वार्ता"कहा जाता था की रक्षा किया जाय।
★व्यक्ति जीवन में कोई न कोई संकल्प लेता है। कुछ लोग रिलीजियस फंक्शन में संकल्प लेते हैं ।कोई अधिकारी, सांसद विधायक उद्योगपति, बनने का संकल्प लेता हैं। परंतु सबके संकल्प पूरा करने का एक ही स्रोत है पर्यावरण यानी पृथ्वी पेड़ पानी जमीन के अंदर बाहर का संसाधन। यदि हममें से प्रत्येक जिनकी उम्र 35 वर्ष है मात्र एक पेड़ लगाने का संकल्प ले तो प्रत्येक व्यक्ति के संकल्प पूरे हो जाएंगे। 
★पर्यावरण मित्र "किसान एव वनवासी" की रक्षा का कानून बनाया जाय। 
★गिनती के लोग जो अपनी भौतिकवादी भोग विलासी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ पौधे पशु पक्षियों असंख्य जीवो का कत्ल एवं विनाश कर रहे हैं,पर क्रिमिनल केसेज लगाने का कानून बने।
प्रकृति देती है बदले में कुछ नहीं लेती।पेड़ प्राणवायु ऑक्सीजन देता है और बदले में जहर ले लेता है। बिना फल की इच्छा के कर्म करते रहने का जो उपदेश गीता में श्रीकृष्ण ने दिया वह इन वृक्षो पर सटीक बैठता है पर्यावरण की इस गुण से प्रभावित कृष्ण मनुष्य के लिए ऐसा ही उच्चादर्श सामने रखना चाहते थे। क्योंकि लोग बिना कुछ किए सब कुछ हासिल करने में लगे हैं। 
   मैं मानता हूं विनाश का"फाऊंडेशन स्टोन'यही है। 

"पेड़" प्राण स्रोत पानी एवं ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत है जो हमें प्रकृति ने दिया है और मां प्रकृति का एक अंश है 
      
          "वृक्ष विनाश प्राण एवं एकता का नाश है"
   कुछ पर्यावरण हमे कल के लिए भी सुरक्षित रखना  
   चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों ऑक्सीजन पा सकें।    

किसान पुत्र हूं खेती करता हूं अपना पेट भरने के अतिरिक्त एक लाख लोगों के लिए एक दिन के खाने का अनाज पैदा करता हूं। दिल्ली विश्वविद्यालय के विख्यात इतिहास विभाग से आर्कियोलॉजी इंडोलॉजी हिस्ट्री मे पीएचडी हूं। अपने मित्रों के साथ 50 यूनिट से अधिक रक्त सरकार एवं गोरक्ष ब्लड बैंक को डोनेट कर चुका हूं। विगत 35 वर्षों में 10 हज़ार पेड़ो का एक उद्यान लगाया हूं जो हजारों लोगों का जीवन स्रोत ऑक्सीजन देता हैं ।दो हजार पुस्तकों की निजी "शांतिवन पुस्तकालय"में गरीबी"संप्रदायिकता"के विनाश पर शोधरत हूं।किसी गिरोह बंद दल का दलाल नहीं हूं। 

संपूर्णानंद मल्ल माता शांती मल्ल
सत्यपथ ps शाहपुर गोरखपुर 273004
9415418263, snm.190907@yahoo.co.in
स्वैच्छिक रक्तदाता सरकार, गोरक्षब्लड बैंक।

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