"मैं गॉड नहीं मानता, मैं नास्तिक हूं, मैं नास्तिक क्यों हूं ? :भगत सिंह

महामहिम राष्ट्रपति
                                                  योग दिवस 2023

शपथ 'इन द नेम ऑफ गॉड की जगह "संविधान के नाम"' "इन द नेम ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन"किया जाय। शपथ का विषय "प्रियंबल ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन किया जाए।

"महामहिम"

"मैं"गॉड नहीं मानता---मैं नास्तिक हूं--मैं नास्तिक क्यों हूं -- ? भगत सिंह। मैं गॉड नहीं मानता और यदि कभी मानता भी हूं,क्योंकि"सोशियो-रिलिजियस-कॉर्डिएलिटी" के लिए जरूरी है,तो वह मेरा निजी विश्वास है। भारत में 80% ऐसे लोग हैं जो खेती करते हैं श्रमिक हैं आदिवासी है छोटे-मोटे धंधे व्यवसाय में लगे हैं इनका गॉड विभिन्न रूपों में क्रमशः खेती फसलें कुदाल हँसिया जंगल पेड़ मशीन होते हैं। फसल उगाने वाला' महुआ बीनने वाला' तरकुल पर चढ़कर ताड़ी उतारने वाले का गाड़ वही है।वे न तो मंदिर मस्जिद वाले गॉड को जानते हैं न अदृश्य आसमानी गॉड को जानते हैं। ताड़ीवान ताड़ी की दो बूंद ताड़ वृक्ष की जड़ों पर चढ़ाता है और "ताड़ भगवान" की आराधना कर ताड वृक्ष पर चढ़ता है।

गॉड एक आभासी' एवं निजी' विषय है।

"ओथ लेने वालों के प्रति जनता के मन में जरा सा सम्मान का भाव नहीं होता। ओथ में शामिल दलाल (एजेंट्स ब्रोकर्स) किसानों मजदूरों की हाड़तोड़ श्रम की गाढी कमाई फिजूल में नष्ट करते हैं। जिनके वोट से नेता  विजई बनकर विधायिका में जाते हैं उनकी कमाई से खाना दवाई आवास लग्जरी जीवन जीते हैं वे ही शपथ से दूर होते हैं।

भारत का राष्ट्रपति आज भी उसी शान शौकत से शपथ  लेता है जिस शानो शौकत से ब्रिटिश वायसराय लेता था। किसानों की चमड़ी उधेड़कर वसूले गए लगान(लैंड रिवेन्यू)  से न केवल वेतन भत्ते पेंशन एवं टेम्स के किनारे बसे लंदन का खर्च चलता था वरन अंग्रेजी शपथ' समारोहों पर भी खर्च होता था। इसलिए ऐसी गुलामी कालीन ब्रिटिश शाही अंदाज वाली फिजूलखर्ची दिखावटी आडंबरपूर्ण शपथ ग्रहण के पतन की इच्छा व्यक्त करता हूं।

शपथ ग्रहण के सादे समारोह संपादित हो "नेम ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन"में"प्रियंबल ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन की शपथ दिलाई जाए।
प्रेसिडेंट से लेकर प्रधान तक एवं मुख्य सचिव से लेकर ग्राम सचिव तक किसी भी सरकारी पद पर रहने वाला व्यक्ति संविधान को साक्षी मानकर प्रिंबल ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन की शपथ ले,ताकि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक"कॉन्स्टिट्यूशन"कल की डेट में भी आबाद रहे।

किस बात की शपथ लेते हैं?
प्रधानमंत्री"मंत्री' ऑफिस"सिक्रेसी"का शपथ लेते हैं।
The Prime Minister's oath is that he swears in the name of God--

1-- To bear true  faith and allegiance 
        to the constitution of India,

2.  To uphold 
     the sovereignty and integrity of India,

3. To faithfully and conscientiously discharge the duties of his office

4 .To do so right to all manner of people in accordance with the constitution and the law, without fear or favour, affection or ill will.

आस्था' निष्ठा' संप्रभुता' एकता' भय' एवं पक्षपात रहित' ऐसा करना जो लोगों के हित में हो"'यूं ही टूट जाता है जब विधायिका पार्टी आधार पर काम करती है प्रधानमंत्री मंत्री मुख्यमंत्री मंत्री "मंत्री" होते हुए अपनी निजी दल के लिए सार्वजनिक धन' संसाधन' पद' सम्मान' का दुरुपयोग करते हैं।

जिन्हें सावरेंटी इंटीग्रिटी का ज्ञान ही नहीं है उन्हें उसकी रक्षा की शपथ दिलाई जाती है। उसमें से अधिकांश आस्था एवं निष्ठा का अर्थ मंदिर मूर्ति मस्जिद मोहम्मद पैगंबर समझते हैं। इससे भी बड़ी बात यह कि विधायिका के ही सदस्य मंत्री रूप में शपथ लेते हैं जिसमें कुछ को छोड़कर शेष चोर भ्रष्टाचारी लुटेरे व्यभिचारी बलात्कारी क्रिमिनल सांप्रदायिकता एवं जातीयता फैलाने वाले हैं। 

मंत्री के लिए विधायिका के किसी ऐसे सदस्य का नाम न सुझाया जाए जिनपर भ्रष्टाचार चोरी बलात्कार व्यभिचार हत्या मारपीट की केस दर्ज हो। जिलाधिकारी विजय सर्टिफिकेट के साथ एक चरित्र प्रमाण पत्र दें। चरित्र दोष होने पर उनके चुनाव को निरस्त किए जाएं। शपथ तोड़ना दंडनीय अपराध घोषित हो।

कॉपी टू:  वाइस प्रेसिडेंट
संपूर्णानंद मल्ल*           सत्यपथ ps शाहपुर गोरखपुर
94154 18263          snm.190907@ yahoo.co.in
*पीएचडी इन आर्कोलॉजी' हिस्ट्री' दिल्ली यूनिवर्सिटी

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