8am 11 जुलाई 23
किसान"मजदूर"न होते तो हिंद के हिंदुस्तानी लुटेरों के लूट के कारण भारत में भूखमरी"होती और यदि सैनिक" न होते तो इसकी सीमाएं सिकुड़ गई होती।
"भारत "एक कृषि प्रधान देश है और इसे हम एक्सप्रेसवे एयरपोर्ट बुलेट ट्रेन शहरों गगनचुंबी इमारतों का देश बनाते जा रहे हैं। सच है कि यह विकास" है परंतु भारत के संदर्भ में यह "जीवन विनाश' की कीमत पर खड़ा हो रहा है" जिन देशों में कृषि एवं कृषि की संभावनाएं नहीं के बराबर हैं वहां तो ऐसे विकास ठीक हैं परंतु भारत में जहां"हाथी के बैठने के बराबर की जमीन पर एक परिवार के खाने भर का अन्न पैदा होता है"( तमिल साहित्यिक) उस देश के कृषि' एवं जंगल को समाप्त कर सड़कों भवनों रेल की पटरियों के मुल्क में बदलना भारत की पहचान को समाप्त करना है।
कुछ ही वर्षों में भारत दुनिया में बने सामान का बाजार एवं शराब की मंडी बन जाएगा और इसकी स्थिति कुछ इस प्रकार हो जाएगी जैसे बैंकॉक और नेपाल की"।सड़क पर मंदिर मस्जिद मूर्तियां मदिरा की दुकानें शराबी व्यभिचारी बलात्कारी जुआरी भिखारी अत्याचारी दिखाई देंगे। फिर भी भारत रहेगा,हमारी महानता रहेगी क्योंकि प्रकृति ने हमें सोना उगलने वाली उर्वर जमीन प्रदान की है।
संपूर्णानंद मल्ल
सत्यपथ गोरखपुर 273004
पीएचडी इन हिस्ट्री दिल्ली यूनिवर्सिटी
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