बदायूं। नवाबगंज ज़िला बरेली से आए मौलाना सय्यद मोहम्मद काशन रिज़वी ने कहा कि कर्बला हमे इबादत की अहमियत बताती हैं और लोगो को इबादत का दर्स (शिक्षा) देती हैं। हज़रत इमाम हुसैन अ.स की गर्दन पर शिम्र खंजर चला रहा था और वह सजदे में थे।
कहा कि कर्बला में 10 मुहर्रम को फज्र की नमाज़ पढ़ने के लिए खड़े हो गए। लेकिन, यज़ीद की फ़ौज ने नमाज़ अदा कर रहे इमाम हुसैन अ.स और उनके साथियों पर तीरों की बारिश शुरू कर दी। इसके बावजूद इमाम हुसैन अ.स ने नमाज़ अदा की।
इमामबाड़ा मुत्तक़ीन में जुमेरात की सुबह 09:00 बजे अशरे की पहली मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने कहा कि ज़िन्दगी में इबादत की बहुत अहमियत हैं। जिस तरह जिस्म को दो वक़्त का खाना चाहिए उसी तरह रूह को पाक-साफ रखने के लिए इबादत की जानी चाहिए। इबादत से ज़िन्दगी सवर जाती है क्योंकि लोग तमाम बुराइयों से बच जाते हैं।
कहा कि कर्बला हमें इंसानियत और इबादत करने का दर्स देती हैं। इबादतगुज़ार लोंगो की दुनिया मे और इसके बाद अल्लाह के दरबार मे भी बहुत इज़्ज़त हैं। तक़रीर के बाद कैफ़ी ज़ैदी ने नोहा पढ़ा। मजलिस में शिया तंज़ीमुल मोमिनीन कमेटी के सेक्रेटरी जाबिर ज़ैदी, सदर अनवर आलम, ग़ुलाम अब्बास, फहीम हैदर, जावेद अब्बास, ज़ैनुल इबा ज़ैदी, साइब रिज़वान, करार हैदर, जरार हैदर, हसन आरज़ू आदि लोग शामिल रहे।
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