कसया, कुशीनगर।
आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत राजकीय बौद्ध संग्रहालय, कुशीनगर द्वारा अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती के अवसर पर वीर सपूत के बलिदान को याद करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन किया गया।
संग्रहलयाध्यक्ष अमित कुमार द्विवेदी ने बताया कि 23 जुलाई, 1906 को चन्द्रशेखर आजाद का जन्म हुआ था।
वर्ष 1919 में हुए जलिया वाला बाग नरसंहार ने देश को उद्वेलित कर दिया था। आजाद भारत माता के ऐसे वीर सपूत थे जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपने प्राण की परवाह न करते हुए देश की स्वतंत्रता, कल्याण और प्रगति के लिए हर संभव प्रयास किया तथा उन्होंने संकल्प किया था कि वह ना कभी पकड़े जाएंगे और न अंग्रेजी हुकूमत उन्हें फांसी दे सकेगी।
अंत में इसी संकल्प के साथ 27 फरवरी, 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजी हुकूमत के हाथों गिरफ्तार होने की जगह स्वयं को गोली मारकर महज 24 साल में मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।उनका नारा था "मैं आजाद हूं ,आजाद रहूंगा और आजाद ही मरूंगा" इस बलिदान के बाद पूरे देश में युवा खून आजादी पाने के लिए उबल पड़ा। इसी कारण भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में इस दिन को बेहद अहम माना जाता है। संग्रहालय अध्यक्ष अमित कुमार द्विवेदी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। उक्त अवसर पर श्रवण कुशवाहा, धीरेंद्र मिश्रा, जितेंद्र यादव, गोविंद, मीरचन्द, अवधेश, अमित सिंह अन्य लोग उपस्थित रहें।
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