बदायूं। काबे में हो विलादत, मस्जिद में हो शहादत, क्या शान हैं इमाम अली अ.स की, क्या मर्तबा अली अ.स हैं। इमाम अली अ.स के ऐलान ए विलायत पर ईद ए ग़दीर अक़ीदत के साथ मनाई गई। लोगो ने नए लिबास पहने और इमामबाड़ा मुत्तक़ीन बदायूं में जनाब मुशर्रफ हुसैन ने महफ़िल व नज़्र ए मौला का आयोजन किया।
जनाब ग़ुलाम अब्बास और जनाब अनवर आलम ने खिताब करते हुए कहा कि आज ही के दिन हज़रत मुहम्मद साहब ने ग़दीर के मैदान में लाखों हाजियो के हुजूम में हज़रत अली अ.स को अपना जानशीन व खलीफ़ा घोषित किया था। महफ़िल में नन्ने नन्ने बच्चो और शायरों ने मधे मौला मे कलाम पेश किए। सय्यद जाबिर ज़ैदी ने कहा कि रसूल ने अपने जीवन के आखिरी हज के वापसी के समय आपने हज़रत अली को अल्लाह के आदेश पर अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। जनाब डॉ आबिदी, एहसान रज़ा, फहीम हैदर, बबलू, इक़रार ज़ैदी, कैफ़ी, ज़ैनुल इबा ज़ैदी, जारहु, नावेद, मुहम्मद रज़ा, मिनाल, आनफ, जावेद अब्बास, जरार हैदर, शीराज़, आदि लोग शामिल हुए।
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