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श्री शनिदेव भगवान के कथा-सत्संग में सनातन धर्म मंच से प्रवचन करते हुए कथाव्यास सुबोध ने महादानी महर्षि दधीचि के अस्थिदान का कथा प्रसंग सुनाते हुए बताया कि उनके पुत्र जन्म के कुछ वर्षों बाद नारदजी ने बताया कि आप दधीचि महाराज के पुत्र हैं पीपल वृक्ष पर जीवन यापन कर आप बड़े हुए हैं इसलिए पिप्पलादि के नाम से जाना जाएगा।
यह स्थान सिधौली से 10किमी कुर्सी गांव के निकट सरायननदी के सन्निकट स्थिति है।
गाधिश्च कौशिकश्चै पिप्पलादौ महामुनि, शनैश्चर कृतं पीड़ां नाशयन्ति स्मृतावस्य:
इसी क्रम में कथाव्यास सुबोध ने श्रोताओं को बताया है कि --
तीन सजावट देश को -सती सन्त और शूर।
तीन लजावत देश को -कपटी,कामी और क्रूर ।। अन्य सन्त विद्वानों में आध्यात्मप्रवक्ता प्ं वीरेंद्र शास्त्री,व्यास ज्ञानेशशुक्ल,पं राजेन्द्र त्रिपाठी गुरु जी बाराबंकी, ने भी कथामृत की गंगा बहा दी ।
संयोजक स्वामी प्रकाशानन्द सरस्वती फलाहारी बाबा ने सुंदर भजन --पानी में नाव चले तो चले-मत नाव में पानी आने दो..
चतुर्थ दिवस कीकथाकेअन्त में श्री शनिदेव भगवान की आरती के पश्चात प्रसाद वितरण केसाथ कार्यक्रम को विराम दिया गया।
12जुलाई को श्री शनिदेव भगवान का विशेष पूजन -चेयरमैन गंगा राम राजपूत के द्वारा किया जाएगा और 14जुलाई को कार्यक्रम का समापन होगा।
रघुबर दयाल शुक्ल गुरु जी
शार्प मीडिया संवाददाता सिधौली-सीतापुर।
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