ओम प्रकाश राजभर राजनीतिक मसखरे


     रंग मंच पर प्रदर्शित भांड का संवाद या आचरण दर्शकों के दिल्लगी, उनके मनोरंजन की दृष्टि से मंचित होता है। यथार्थ के क़रीब होने की संभावना क्षीण होती है। हो सकता संवाद किसी को ललकारता हो, जागरूक होने का संदेश भेजने में सफ़ल हो। बावजूद इसके उस प्रसंग को गंभीरता से नही लिया जाता। हल्के फुल्के हँसी के बुलबुले में उड़ा दिया जाता है।
       राजभर द्वारा बहन मायावती को विपक्षी पीएम उम्मीदवार घोषित करने के लिए लॉबिंग की जाती तो मन को तसल्ली मिलती परन्तु ऐसा लगता है कि राजभर ने या तो उनकी खिल्ली उड़ाई है। या फिर बीजेपी के इशारे पर अंधेरे में दिशाहीन तीर छोड़ा है। गम्भीर होते तब उन्हें ज्ञात होता कि पीएम उम्मीदवार को लोकसभा या फिर राज्य सभा का सदस्य होना जरूरी है। बहन जी का दल दल किसी भी राज्य में इस स्थिति में नही है जहां से वह राज्य सभा की ड्योढ़ी से अंदर घुसने का प्रमाण पत्र हासिल कर पायेगी। लोकसभा चुनाव जीतना दिन में तारे का दीदार होने जैसा है।
       बहन जी ने अपनी सनक,आलस्य और तानाशाही की वजह से पार्टी को रसातल में धकेला है। बहुजन समाज पार्टी को एकजन पार्टी बनाने पर दृढ़ बहन जी पीएम बन जाए तो हमें सबसे अधिक प्रसन्नता होगी। सच्चाई यह है कि बसपा 2024 के चुनाव में 2014 के चुनाव का अपना रिकॉर्ड दोहराएगी। बहन जी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाई आंनद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,पुत्र समान भतीजा राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर क्या इस अवस्था को बहुजन समाज पार्टी कहा जा सकता है? हां बीएसपी (बहन जी सम्पत्ति परियोजना) बन गई है तो चलेगा।
         2019 में विपक्ष ने बहन जी को पीएम उम्मीदवार घोषित कर रखा था। ख़ासतौर से यूपी में बैटिंग शुरू हो गई थी। हुआ क्या पीएम उम्मीदवार बहन जी ने सपा के साथ 30 जनवरी 2019 को पहली संयुक्त रैली की थी। यानि संयुक्त रैली नही पिकनिक स्पॉट पर अवतरित होकर लोगों को आशीर्वाद दिया था। पिकनिक के लिए उत्सुक लोग पीएम बन जायेंगे तो कयामत आ जायेगी कयामत। 25 क्वेश्चंस पढ़कर किसी परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ तो जा सकता है परन्तु यूपीएससी परीक्षा में टॉप करना असंभव है।
*गौतम राणे सागर*
   राष्ट्रीय संयोजक,
  संविधान संरक्षण मंच।
     

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