काशी क्रांति
21 मई मेकर का मॉडर्न इंडिया राजीव गांधी का शहादत
मुझे इस बात से कोई वास्ता नहीं है कि डेमोक्रेसी नरेंद्र मोदी की दास रहेगी या इंडिया एलाइंस की परंतु सत्य अहिंसा की पूरी ताकत से कहना चाहता हूं कि झूठ हिंसा भय नफरत बेरोजगारी गरीबी नारी बलात्कार एवं शराब की मंडी नहीं चलने दूंगा.
लगता है गुलामी हमारे खून में हो. आजादी के 76 वर्ष बीता नहीं कि शक्ति स्रोत संसद पर रेपिस्ट करप्ट क्रिमिनल्स ने कब्जा कर लिया कुछ इतने बेशर्म है कि बिना श्रम वैभव एवं ऐश्वर्य को अनुशासन मानते हैं.
जिस देश में 102 करोड लोग गरीब कुपोषित हो वहां की बेशर्म लुटेरी सरकार प्रतिमाह दो लाख करोड़ gst वसूलती है शिक्षा चिकित्सा रेल संचार पर टैक्स लगाती है लोगों की निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स लेती है ₹50 का डीजल पेट्रोल सीएनजी ₹100 में बेचती है 400 का सिलेंडर 1200 में बेचती है मदिरालय का मुल्क बनती
सरकारों के सदस्य जो हिंसा की भाषा बोलते हैं. अंग्रेजी वायसराय एवं लेफ्टिनेंट गवर्नर की तरह बड़ी बड़ी सुरक्षा लेकर चलते हैं इस पर खर्च का पैसा मजदूर किसान की गाढ़ी कमाई टैक्स देने वालों के पैसे है
ऐसा चुनाव दुनिया के किसी देश में नहीं मिलता जहाँ वोट छीना'लूटा'खरीदा जाता है. मांस मदिरा डीजल पेट्रोल पर पैसा फूंका जाता है. फिर इस लाखों करोड़ बर्बाद रुपए की वसूली टैक्स के रूप में लोगों के पीठ पेट पर लात मारकर की जाती है.
लोक सेवक सरकार सेवक की तरह काम कर रहे.लोगों का जीवन खतरे में है इससे पुलिस का कोई वास्ता नहीं है. पुलिस बलात्कारी अपराधियों की सुरक्षा में तैनात रहती है.21 मई को मोदी सत्ता के पतन के लिए बनारस में सत्याग्रह प्रारंभ करना था.20 तारीख की रात्रि 9:00 pm श्रीमान जिला अधिकारी एवं पुलिस कमिश्नर को लिखा कि बनारस में सत्याग्रह स्थल पर सुरक्षा पानी शौचालय की व्यवस्था की जाय. 21मई गोदौलिया पर मैंने सत्याग्रह प्रारंभ किया 22 तारीख को सेंट्रल कचहरी बनारस में सत्याग्रह किया पूरी तरह असुरक्षित गोदौरिया में मोदी प्रशिक्षित अंधपंथिओं अंधभक्तों ने हिंदू हिंदू जय श्री राम मोदी मोदी के नारे के साथ मुझसे झगड़ने की कोशिश कर रहे थे कचहरी में एक वकील तिरंगे के साथ मुझे कचहरी से बाहर जाने की धमकी देने लगे झगड़ने लगे. ऐसा लग रहा था कचहरी उनकी निजी जागीर हो एक दूसरे वकील के वजह से वहां मारपीट बच गई. दूसरी तरफ 21 मई को नरेंद्र मोदी की महिला समागम को देखते हुए ट्रैफिक डायवर्सन'चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी'एसपीजी लगी थीं .चुनाव आचार संहिता को पैरों तले कुचल दिया गया था. तिरंगा लेकर अकेले सत्याग्रह करने वाले मुझको पुलिस ने फोन कर यह जरूर हिदायत दी कि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए.पुलिस ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि आप सुरक्षित है या नहीं?
डॉ संपूर्णानंद मल्ल पूर्वांचल गांधी
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