भारत की डेमोक्रेसी चुनाव तक 'सीमित है संविधान सिद्धांत बनकर रह गया है.

बुद्ध पूर्णिमा 23 मई 2024
"परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश संविधान पीठ" 
सर्वोच्च न्यायालय

जनहित याचिका:- हम झूठ एवं हिंसा से गुजर रहे हैं सत्य अहिंसा की बात करना मुश्किल है..हमें गांधी का सत्य अहिंसा स्वराज' भगत सिंह का समाजवाद अंबेडकर का संविधान' चाहिए. जो प्रिंबल ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन में संदर्भित है मौलिक अधिकारों में जिसकी गारंटी दी गई है.

''परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश'
सरकार 'सत्ता हासिल करने' एवं 'हमारे जीवन की कीमत पर विकास"के 'आर्बिट्रेरी अथॉरिटी' के रूप में काम कर रही है. निवेदन'प्रार्थना' पत्र /ज्ञापन' सत्याग्रह'अनशन जो हमारा मौलिक अधिकार है, की कोई नोटिस नहीं लेती, दमित करती है. गूंगी बहरी अंधी है. हमारे पास इसके अतिरिक्त कोई विकल्प शेष नहीं है कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय को गुहार लगाऊं. वैसे भी हमारे जीवन रक्षा की अंतिम जिम्मेदारी सर्वोच्च न्यायालय के कंधे पर है. इसलिए परम सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय से जीवन रक्षा की गुजारिश करता हूं.

''परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश'
भारत में 'पॉलीटिकल- कांस्टीट्यूशनल-इंस्टीट्यूशंस' ऊपर से ठीक दिखाई देते हुए अंदर से शीशे की तरह टूट चुके है,
असंवैधानिक ढंग से काम कर रही हैं.जीवन 'समानता स्वतंत्रता 'मानवत्स' जो संविधान का उद्देश्य है'से इनका कोई रिश्ता नहीं है.

'परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश'
जो रिपब्लिकन हमारे पत्रों का जवाब नहीं देता उसे हम 'कितना डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन' स्वीकार करें? मैं इसे रत्ती भर डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन स्वीकार नहीं करता.भारत की रिपब्लिकन में राष्ट्रपति की नियुक्ति,अप्रत्यक्ष, विधायिका के निर्वाचित सदस्य करते हैं जिसमें कुछ अच्छे सदस्यों को छोड़कर शेष बलात्कारी भ्रष्टाचारी अपराधी सभी शामिल होते हैं.प्रधानमंत्री अपने मन माफिक राष्ट्रपति बना लेता है जिसके लिए विधायिका मे बहुमत का सहारा लेता है. प्रारंभ से ही मंत्रालय एवं मंत्री का लोगों से कुछ लेना-देना नहीं है मंत्री तानाशाह की तरफ अपने मनमर्जी काम करते है.

परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश
आटा चावल गेहूं दाल तेल चीनी दवा जो जीवन है प्राण है इस पर टैक्स लगाना क्रूरता एवं अपराध है, जीवन एवं जीने के मौलिक अधिकार अनुच्छेद 21 की हत्या है,पर gst समाप्त करें,शिक्षा चिकित्सा रेल संचार को निशुल्क एवं एक समान करें, निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स समाप्त करें या प्रत्येक टोल पर दोनों तरफ एक-एक टोल लेन फ्री करें ताकि पैसे के अभाव में कोई व्यक्ति कहीं आने जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार'अनुच्छेद 19, से वंचित न रह जाए. डीजल पेट्रोल सीएनजी ₹50 प्रति लीटर घरेलू गैस ₹500 प्रति सिलेंडर गरीबों को फ्री दें. जीएसटी उत्पादन का एक बटे छठा भाग यानी साडे 16 प्रतिशत करें क्योंकि यही 'हिंदू रेट ऑफ टैक्स' है.भारी वाहनों पर टोल टैक्स ₹1 प्रतिkm लिया जाए क्योंकि एक टोल पर एक भारी ट्रक पर 500 से ₹900 टोल टैक्स ले लीजिएगा तब महंगाई की आग कैसे बुझेगी?कौन बुझाएगा?टैक्सेशन संसद का विषय है. प्रधानमंत्री ने संसद में बिना विचार विमर्श, 142 करोड लोगों से बिना पूछे, उनके पेट एवं पीठ पर टैक्स के कोड़े बजा दिए.एक ही सवाल पूछता हूं कि कोई अनाज खाने वाला व्यक्ति आटा चावल गेहूं दाल तेल चीनी दवा पर टैक्स लगा सकता है क्या? और इस पर टैक्स लगाने की क्या जरूरत पड़ गई? निजी गाड़ियों पर 
टोल टैक्स कहीं आने जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की हत्या ह.मैंने यहां तक लिखा कि खाना"चलना" बोलना"माँ से जन्मना मिला ऐसा अधिकार है जिसे कोई छीन नहीं सकता. सब कुछ लिखकर विगत वर्षों में 100 से अधिक पत्र ज्ञापन महा राष्ट्रपति मा प्रधानमंत्री गृह मंत्री वित्त मंत्री भूतल परिवहन मंत्री स्पीकर आदि को भेजा किसी ने कोई जवाब नहीं दिया.

भारत की डेमोक्रेसी चुनाव तक 'सीमित है संविधान सिद्धांत बनकर रह गया है.
'परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश'
इतना ही प्रार्थना करता हूं कि 2024 के चुनाव में भारत की डेमोक्रेसी चाहे नरेंद्र मोदी की 'दास' बने या इंडिया गठबंधन की हमें जीने दे. हमारा जीवन छीनकर'या जीवन की कीमत पर' विकास' देने वाली सरकार नहीं चलने दूंगा. यह क्रूरता की पराकाष्ठा है जिस मुल्क में 80 करोड लोग 5 किलो अनाज में जीवन तलाशते हैं, 22 करोड़ कुपोषित जिसमें 70% बच्चे हैं दाल के अभाव में रोटी पानी नमक खा रहे हैं तेल के अभाव में जिनकी तरकारी पानी में बनती है जिनके पास फूटी कौड़ी नहीं है कि वे जीवन की ज़रूरतें कैसे खरीदेंगे?उस मुल्क में सरकार आटा चावल गेहूं दाल तेल चीनी दवा पर टैक्स लगाती है.शिक्षा चिकित्सा रेल संचार ऊँची कीमतों पर बाजार में बेचती है? क्रूर' अपराधिक'.

'परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश'
असंवैधानिक'अमानवीय' क्रूर आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स' सरकार समाप्त कर दे या यदि सरकार समझती है कि जो कुछ वह कर रही हैं जीवन' मानवता'संविधानानुकूल है तब मुझे जेल में डाल दे.ऐसी पथभ्रष्ट'हिंसक'लुटेरी'अनुशासनरहित'बलात्कारी भ्रष्टाचारी अपराधी व्यवस्था के पतन के लिए संसद भवन पर करूंगा सत्याग्रह. नई सरकार बनने के उपरांत. 

'परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश'
मेरे प्रत्येक सत्याग्रह को सरकार ने दबाने की कोशिश की है उग्रपंथी हुड़दंगाईयों ने हमले किए हैं. इजराइल फिलिस्तीन युद्ध विराम के लिए सत्य अहिंसा शांति की धरती बुद्ध की  निर्माण स्थली कुशीनगर मे नवंबर 2023 मे सत्याग्रह के दौरान हमले किए गए. हिंदुत्व के हुड़दंगाई युद्ध विराम' एवं पीस' की बात करना मुश्किल कर दिए हैं. मैं वहां इतना ही कहा था कि आतंकवाद के नाम पर गाजा में बच्चे क्यों मारे जा रहे हैं? मैं तत्काल युद्ध विराम चाहता हूं. राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा. 
न जाने कैसी व्यवस्था चल रही है सच कहना मुश्किल हो गया है?
प्रति:-- महा राष्ट्रपति मा प्रधानमंत्री गृह मंत्री  स्पीकर लोक सभा

डॉ संपूर्णानंद मल्ल        पूर्वांचल गांधी           सत्यपथ 
9415418263 snm. 190907 @yahoo. co. In

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