बदायूँ: शिया तंज़ीमुल मोमिनीन कमेटी, बदायूँ के जनरल सेक्रेटरी श्री सय्यद जाबिर ज़ैदी ने कहा कि क़ुर्बानी शब्द 'क़ुर्बान' से बना हैं। जिसका अर्थ हैं। क़ुर्बानी के माध्यम से खुदा के करीब होना। क़ुरबानी हज में अनिवार्य है। और बाक़ी मुसलमानो को क़ुर्बानी की ताक़ीद की गई हैं।
शिया मुसलमानों के छठे इमाम 'इमाम जाफ़र ए सादिक़ अ.स से क़ुर्बानी के कारण और ज्ञान के बारे में पूछा गया। तो उन्होंने बताया कि जब क़ुबार्नी के जानवर के खून की पहली बूंद ज़मीन पर टपकती हैं। तो अल्लाह क़ुर्बानी करने वाले के सभी गुना माफ़ कर देता हैं
शिया मुसलमानों के पहले इमाम हज़रत इमाम अली अ.स ने फरमाया हैं यदि लोगो को पता चल जाए कि क़ुर्बानी करना कितना लाभ है तो वे हर साल क़ुरबानी करने को आमादा हो जायेगा।
ग़रीबो की मदद करने के बारे में मुसलमानों के आखरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब स.अ.व ने फरमाया की क़ुर्बानी इस लिए हैं कि ग़रीबो को इस से लाभ मिल सके। श्री जाबिर ज़ैदी ने कहा कि लोग क़ुर्बानी के गोशत को अपने फिर्ज में न रखे बल्के जितना हो सके ग़रीबो में बाट दे। ताकि क़ुर्बानी का हक़ीक़ी मक़सद हासिल किया जा सके। श्री ज़ैदी ने कहा कि जानवर की क़ुर्बानी आम रास्तो में न की जाए। जानवर के गंदे गोश्त को रास्तो में न फेका जाए, बल्कि नगर पालिका के द्वारा निर्धारित जगहो पर ही फेका जाए। ताकि किसी आम इंसान को कोई परेशानी ना हो। क़ुर्बानी करते समय वीडियो ग्राफी न करे और ईद की नमाज़ मस्जिदों में अदा करे।
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