"महामहिम राष्ट्रपति महोदया "
' हमे संविधान चाहिए न अधिक न कम"
'महोदया "
ऐसा महसूस हो रहा है हमारे सिर से एक बोझ हट गया है.इस बोझ को आज से दस वर्ष पूर्व हमने नरेंद्र मोदी के चुनावी कार्यक्रम "चाय पर चर्चा"में उनके स्वागत के साथ अपने सिर पर रखा था और'काशी क्रांति'21 मई24,'नरेंद्र मोदी सत्ता के पतन' के साथ यह बोझ सिर से उतर गया.
"महोदया"
झूठ हिंसा भय अहंकार बेरोजगारी गरीबी महंगाई विषमता नफरत भ्रष्टाचार बलात्कार अपराध अनुशासनहीनता निरंकुशता अपव्यय अंधविश्वास पाखंड अवैज्ञानिकता वृक्षविनाश शिक्षा चिकित्सा रेल संचार के पतन के दशक का अंत.डेमोक्रेसी जस्टिस कॉन्स्टिट्यूशन गुलामी से मुक्त.गरीब किसान मजदूर दलित आदिवासी दमन से आज़ाद.बेरोजगारों के लिए आशा की किरण.
प्रति:- सबके लिए जो मनुष्यता का व्यवहार करते हैं
डॉ संपूर्णानंद मल्ल पूर्वांचल गांधी सत्यपथ
9415418263
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