'महामहिम राष्ट्रपति"
महामहिम "
सत्यपथ मेरा इकलौता रास्ता है जिस पर मैं चलता हूं
मैं यही चाहता हूं कि गरीब अमीर सभी एक विद्यालय में पढ़ें एक ही चिकित्सालय में इलाज कराएं और ट्रेन में एक साथ बैठकर यात्रा करें"
किसानों एवं मजदूरों के श्रम पर 'शुल्क रहित विलासिता का जीवन'जीने वाले माननीयों ने अपने लिए सारी सुविधाएं जुटा ली परंतु 80 करोड़ कंगाल'22 करोड़ कुपोषित जीवन की ज़रूरतें जुटा पाने में असमर्थ है।
स्वतंत्रता दिवस संसद पर सत्याग्रह नहीं चलने दूंगा भेदकारी व्यवस्था
'महोदया'
शिक्षा चिकित्सा संचार न्याय जीवन की ऐसी ज़रूरतें हैं जिनके बिना जीवन नहीं चल सकता शिक्षा आदमी को 'मानवता' प्रदान करती है चिकित्सा' जीवन' बचाती है। सार्वजनिक संचार कहीं आने-जाने का साधन है। शिक्षा चिकित्सा रेल संचार ऊंची कीमतों पर बेची जा रही है
"महोदया"
सबसे आसान काम है सबको शुल्क रहित एक समान शिक्षा चिकित्सा रेल संचार देना यह बात मैं इस आधार पर कह रहा हूं कि भारत के पास अकूत प्राकृतिक संसाधन संपदा है।142 करोड़ मानव संसाधन है। परंतु भारत की विधायिका कार्यपालिका के सदस्यों जिसमें कुछ को छोड़कर शेष व्यभिचारी बलात्कारी 'भ्रष्टाचारी चोर'अपराधी' है भारत की संपदा एवं संसाधन को खुलकर लूटा है।
प्रति:-- माननीय सर्वोच्च न्यायालय, मा प्रधानमंत्री, मा मानवाधिकार आयोग, मा विधि एवं कानून मंत्री
डॉ संपूर्णानंद मल्ल पूर्वांचल गांधी
9415418263
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