" महामहिम राष्ट्रपति"
महोदय'
संविधान की प्रस्तावना में सोशलिस्ट'लिखा है,प्राइवेट'नहीं
भगत सिंह गांधी अंबेडकर के इस महान मुल्क को बचाने का एक संवैधानिक रास्ता
पूंजीपतिओं'मंदिर'मस्जिद' मठ' मठाधीशो' बाबाओं' की संपति संपदा संसाधन जप्त कर ली जाए क्योंकि उनकी संपत्ति संसाधन संपदा किसान मजदूर गरीबों की गाढ़ी कमाई एवं टैक्स का पैसा है। न तो ये पैसा लेकर पैदा हुए हैं न हीं इनके पास नोट छापने की मशीन है।
विगत 32 वर्षों में जो सरकारी संपत्ति निजी हाथों में बेची गई है कम से कम उसे तो छीन लें पिछली सदी की अंतिम दहाई तक जिनकी क्षमता दुकान खोलने की न थी। ये न जाने कौन कमाई की कि भारत की सार्वजनिक संपत्ति ही खरीदने लगे
यह बात टाटा कंपनी पर लागू नहीं होती क्योंकि टाटा ब्रिटिश औद्योगिक कंपनियों के मुकाबले में खड़ी हुई भारत की कर्मधार कंपनी है इसने भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई की तरह काम किया है और 6 लाख से अधिक रोज रोजगार दिया है टाटा के कारण दुनिया में हमारी साख है विश्व का सबसे बड़ा वेलफेयर घराना है।
कॉपी टू :-- परम सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय
माननीय मानवाधिकार आयोग
माननीय उपराष्ट्रपति,माननीय अध्यक्ष लोकसभा, माननीय नेता विपक्ष
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