सत्याग्रह' उस प्रत्येक हिंदुस्तानी का है जो अनाज खाकर जीवित रहता है और संविधान में विश्वास रखता है

6:00 a.m 9 जुलाई 2024
'महामहिम राष्ट्रपति महोदया' 
             'स्वतंत्रता दिवस संसद पर सत्याग्रह' 
सत्याग्रह' उस प्रत्येक हिंदुस्तानी का है जो अनाज खाकर जीवित रहता है और संविधान में विश्वास रखता है।

"अगर कोई सरकार जनता को उसके बुनियादी अधिकारों से वंचित रखती है तो जनता का यह अधिकार ही नहीं बल्कि कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी सरकार को बदल दे या समाप्त कर दे"                               भगत सिंह 

जीवन स्वतंत्रता छीनने वाले 'आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स' उसी ढंग से तोडूंगा जैसे गांधी ने अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ा था

क्या हमारी मां ने टैक्स देते मर जाने के लिए पैदा किया है?
बिल्कुल नहीं, खाना' चलना' बोलना'मां से हासिल नैसर्गिक अधिकार है इसे कोई नहीं छीन सकता.

ऐसी सरकार मैं नहीं सहन कर सकता जो आटा चावल दाल तेल चीनी तवा पर टैक्स लगाती है निजी गाड़ियों पर पथकर कर लगाती है शिक्षा चिकित्सा रेल महंगी दरों पर बेचती है, भारत को मदिरालय की मंडी बनाई है।

"महोदया "
आटा चावल दाल तेल चीनी दवा 'जीवन है' प्राण' है इस पर टैक्स लगाने का अर्थ है 'जीवन एवं जीने का अधिकार' छीन लेना। अनु 21 की हत्या। किस ज़ालिम' क्रूर' ने इस पर टैक्स लगाया? क्यों लगाया? क्या 545,243 सांसदों ने इसकी मांग की ? क्या 142 करोड़ लोगों पेट पर टैक्स लगाने की मांग की?क्या अतीत में किसी राजा या पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा जीवन एवं प्राण पर टैक्स लगाने का कोई प्रमाण है?प्राण एवं जीवन पर टैक्स लगाकर आप किस विकास को देना चाहते हैं? संसद में प्रतिनिधित्व के लिए हाथ जोड़करआपने वोट मांगा था और संसद में पहुंचकर हमारे प्राण पर टैक्स लगाने लगे?निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स पथकर"कहीं आने जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार (अनु 19b) की हत्या है। आज महंगाई में बड़े मुश्किल से कर्ज आदि लेकर एक छोटी सी गाड़ी आदमी खरीद रहा है। खरीदते समय उत्पाद शुल्क' वन टाइम रोड टैक्स' दिया' महंगा डीजल पेट्रोल सीएनजी खरीदा और जब रोड पर गया तो टोल टैक्स 'लूट अड्डों'पर टोल टैक्स की "खुली एवं बेशर्म' लूट। टैक्स लगाने वाले विद्वान कहां से पढ़ कर आए हैं?TT हमेशा "रिड्यूजिंग रेट" में लगता है महंगाई भत्ते की तरह इसमें वृद्धि नहीं की जाती है।आमतौर पर 10 साल के अंदर किसी मार्ग पर टोल टैक्स की वसूली बंद कर दी जाती है।बेशर्मी तो यह है  राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सांसद विधायक सहित दर्जनों VIP की गाड़ियों पर टोल टैक्स नहीं लगता जबकि लोगों की गाड़ियों पर टोल टैक्स लगता है यह तो समानता (अनु 15-18) के मौलिक अधिकार की हत्या है।संविधान में वीआईपी आधार पर टैक्स में छूट का कोई प्रावधान नहीं है।हैवी व्हीकल पर तो 500 से ₹900 टोल टैक्स? बताइए महंगाई कैसे रुकेगी?आखिर किस चोर लुटेरे डकैत ने इस प्रकार की टैक्स पॉलिसी गढ़ी है? गांधी भगत सिंह अंबेडकर के इस महान मुल्क में यह क्या किया जा रहा है? क्या हो रहा है? क्या इसी लोकतंत्र' संविधान' के लिए मदन लाल ढींगरा भगत सिंह सुखदेव राजगुरु बिस्मिल्लाह अशफाक रोशन सिंह राजेंद्र लाहिड़ी चंद्रशेखर आजाद उधम सिंह फांसी का फंदा पड़ा? शिक्षा चिकित्सा रेल संचार इतना महंगा कर दिया की गरीब एवं कुपोषित के पहुंच से बाहर हो गया।₹50 का डीजल पेट्रोल सीएनजी ₹100,300 का सिलेंडर 1200 में बेचने लगे। महंगाई की आग लग गई देखते ही देखते लोकतंत्र के लुटेरों ने भारत को मदिरालय की मंडी बना दी। जब शराब बेचेंगे तब बलात्कार हिंसा दुर्घटना कैसे रुकेगी कौन रखेगा? सरकारी संसाधन संपत्ति संस्थाएं बेच दी। भारत बेरोजगारी एवं गरीबी का मुल्क बन गया।

उक्त सभी समस्याओं के विधायिका एवं कार्यपालिका के माननीय सदस्य है जिनमें कुछ छोड़कर शेष चोर लुटेरे बलात्कारी अपराधी नफरती हैं।
महोदया "
आटा चावल दाल तेल चीनी दवा पर टैक्स समाप्त कर दें जीएसटी 16% कर दें क्योंकि यही "हिंदू रेट ऑफ टैक्स"है निजी गाड़ियों पर पथकर या तो समाप्त करें या प्रत्येक टोल पर एक टोल लेन फ्री कर दें ताकि जिनके पास पैसा न हो वे भी कहीं आने जाने की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित न रहे हैवी गाड़ियों पर टोल टैक्स ₹1 प्रति किलोमीटर कर दें शिक्षा चिकित्सा रेल संचार एक समान करे शुल्क रहित करें गरीब अमीर एक साथ बैठकर पढ़ें एक ट्रेन में यात्रा करें एक ही अस्पताल में इलाज कराएं। डीजल पेट्रोल सीएनजी ₹50 प्रति लीटर गैस सिलेंडर ₹500 प्रति, गरीब को फ्री दें। इतना करते ही महंगाई मर जाएगी। शराब बंद करते ही नारी बलात्कार दुर्घटना एवं हिंसा समाप्त हो जाएगी। शराब की मंडी बनने से पहले क्या यह होश नहीं आया कि यह देश बुद्ध कबीर नानक रविदास सावित्रीबाई विवेकानंद गांधी भगत सिंह अंबेडकर एपीजे अब्दुल कलाम का है। बेची गई सार्वजनिक संपत्ति छीन लें। प्रत्येक जिले में एक कृषि आधारित उद्योग एवं डेयरी'स्थापित कर दें। यह दो काम करते ही बेरोजगारी एवं गरीबी मिट जाएगी भारत एक समृद्ध देश बन जाएगा
महोदया "
सैकड़ो पत्रों में मैंने निवेदन किया। सत्याग्रह की। कुत्ते की तरह भोंका। ज्ञापन भी श्रीमान आयुक्त गोरखपुर पटना एवं श्रीमान जिलाधिकारी गोरखपुर की ओर से भेजा। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मंत्री संसद स्पीकर किसी ने कोई सुधि नहीं ली। इन्हें मैं क्या कहूं? 'बेशर्म लुटेरे व्यवस्था'। मेरे पत्र का जवाब क्यों नहीं दिया? मेरे हिस्से का लोकतंत्र और संविधान कहां है?जब पत्रों का जवाब'नहीं दे सकते संवाद"नहीं कर सकते तो सत्ता छोड़ क्यों नहीं देते? कर'एवं कीमतों' में वृद्धि से महंगाई अपराध का रूप ले चुकी है जुर्म के आदेशों का अंत करिए। अन्यथा  स्वतंत्रता दिवस संसद पर सत्याग्रह के दौरान जीवन एवं संविधान विरोधी सभी आदेशों को तोड़ दूंगा। मुझे भगत सिंह का समाजवाद'जो संविधान के"प्रिंबल ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन' में दिया गया है'गांधी का स्वराज'अंबेडकर का संविधान" चाहिए।

मैं संपूर्णानंद मल्ल गूगल का 'पूर्वांचल गांधी' कुदाल चलने वाला किसान हूं किसान पुत्र हूं। गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं दिल्ली विश्वविद्यालय का शोधार्थी रह चुका हूं संसद के प्रति मेरे मन में उतना ही सम्मान है जितना महात्मा गांधी भगत सिंह अशफ़ाकउल्ला खान में.
मेरा एक ही मार्ग है 'सत्यपथ' अन्यथा की दशा में जेल में रहना पसंद करूंगा।

प्रति :- परम सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय मा उपराष्ट्रपति स्पीकर लोकसभा माननीय मानवाधिकार आयोग। इस पत्र का संदर्भ उन सबके लिए जो अनाज खाते हैं जीवन'और संविधान' में विश्वास रखते हैं।

डॉ संपूर्णानंद मल्ल               पूर्वांचल गांधी
941541826

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