खुद पर यकीन रखें.....

   पिछड़े और दलितों के लिए उपलब्ध आरक्षण में उप वर्गीकरण कर सरकार में बैठे नस्लवादी लोग अपनी धूर्त मंशा का प्रदर्शन कर रहे हैं। यदि यह वाकई न्यायप्रिय होते तब जातिवार जनगणना कराकर संख्यानुपात के अनुसार से सभी को आनुपातिक प्रतिनिधित्व उपलब्ध कराने की योजना बनाते! इन्होंने ऐसा नही किया। वजह साफ़ है। यह चाहते हैं कि जो जाति संविधानिक अधिकारों के प्रति सचेष्ट है उन्हें किसी भी साजिश से बाहर कर दिया जाए तब यह लोगों को जागरूक करने ली लड़ाई ही बन्द कर देंगे। शेष बची अन्य जातियों को पुचकार कर यह उन्हें मूर्ख बना कर अपनी नस्लों की अनवरत हिफ़ाज़त करने में कामयाब होते रहेंगे।
        पिछड़ों को मंडल आरक्षण में; दलितों, आदिवासियों को अनुसूचित जातियों के आरक्षण में उप वर्गीकरण के हथियार से तथा मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में संशोधन के ज़रिए धारदार चाकू से हलाल कर अपनी यूरेशियाई नस्लों की हिफ़ाज़त का मुकम्मल जहां तैयार करना चाहते हैं ये एहसान फ़रामोश। जनादेश हमसे लेंगे और काम करेंगे अपनी यूरेशियाई नस्लों को पुष्पित और पल्लवित करने का। अपराध की दुनियां के बेताज बादशाह यह हैं और हर वक्त कटघरे में हमें खड़ा कर सज़ा देंगे हमें। क्योंकि न्यायालयों में जाज की कुर्सी का अपहरण करके बैठे लोग कानून की नही अपनी नस्लों की हिफ़ाज़त के मर्मज्ञ है। अपने नस्लों की हिफ़ाज़त करना उनकी अपनी जरूरत है। हमारा आपत्ति करना उचित होने के बावजूद कारगर साबित नही होगा। आवश्यक है कि हम अपने फसलों की हिफ़ाज़त के लिए लामबंद हो। इन बेईमान, धूर्त, लंपटों को सत्ता से बेदखल कर न्यायप्रिय सत्ता की स्थापना करें। यूरेशियाई नस्लों से न्याय की उम्मीद करना ठीक उसी तरह होगा जैसे ख्वाज:सरा से ममता की अपेक्षा करना। 
      न्याय इनके चरित्र में ही नही है। झूठ, फरेब, कल्प, गल्प, फितरत, धोखा की बुनियाद पर इनके आदर्शलोक की आलीशान इमारत खड़ी है। बस एक बार इन पर हम विश्वास करना बन्द कर इनकी हर क्रिया और प्रतिक्रिया को सन्देह में रखकर विश्लेषण करने की कला सीख जाएं  तो इनका कुटिल चरित्र स्वतः परिलक्षित होने लगेगा।
      21 अगस्त को आयोजित भारत बन्द का आह्वान किसी को आरक्षण के लाभ से रोकने का प्रयास नही अपितु आरक्षण को समाप्त करने की जो कुत्सित चाल नस्लवादियों ने चली है उनकी साजिशों को पर्दाफाश करने की पहल है। जो लोग आरक्षण विभाजन की प्रक्रिया से अति उत्साहित हैं उनसे बस एक अनुरोध है कि वह इन नस्लवादियों से मांग कर ले कि यदि तुम वाकई हमारी भलाई करना चाहते हो तो आरक्षण कोटे की जो भी सीटें अभी तक ख़ाली पड़ी है विशेष अभियान के ज़रिए उस पर हमें ही नियुक्त कर दें। फिर देखिए इनका असली चेहरा सामने आ जायेगा। नॉट फाउंड सूटेबल कह कर कैसे दूध से मक्खी की तरह निकाल कर यह आपको बाहर फेंक देंगे।
*गौतम राणे सागर*
   राष्ट्रीय संयोजक,
संविधान संरक्षण मंच।

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