JNU अपनी प्रॉपर्टी बेचने का निर्णय रद्द करे: पूर्वांचल गांधी

. 19 अगस्त 2024
"महामहिम राष्ट्रपति महोदया"
 'महोदया' 
JNU अपनी प्रॉपर्टी बेचने का निर्णय रद्द करे संस्थाओं से यदि किराए की वसूली होती है तो उस फंड से जीव विज्ञान' रसायन'में स्कॉलरशिप स्थापित करे'.मैं सत्य अहिंसा की पूरी ताकत से कहना चाहता हूं कि JNU की रत्ती भर संपदा नहीं बिकने दूंगा JNU की VC प्रो धूलिपुड़ी पंडित बताएं कितने रुपए की क्राइसिस है ? मैं उन्हें भिक्षाटन कर दे दूं. अच्छा होगा कि सांसदों की एक साल की निधियां विश्वविद्यालय  कोष को डोनेट कर दी जाए.. एक और सरल उपाय है नेशनल पॉलीटिकल पार्टीज की संपदा' संसाधन 'जप्त कर JNU को दे दिया जाय क्योंकि इन पार्टियों की संपत्ति लूट एवं चंदे के पैसे की है.

4 सितंबर तक JNU की VC यदि अपने निर्णय को आपस नहीं लीं तो  5 सितंबर शिक्षक दिवस पर JNU VC को एक ज्ञापन दूंगा जो "महामहिम राष्ट्रपति'/ चांसलर' JNU को संबोधित होगा 

JNU बेचेगा अपनी प्रॉपर्टी और संस्थाओं से वसूलेगा किराया,फंड की कमी के चलते लिया फैसला
एबीपी लाइव 18 Aug 2024  Neelesh Ojha

JNU Fund Crunch: जेएनयू की कुलपति प्रो शांति धुलिपुडी पंडित ने बताया कि विश्वविद्यालय फंड की कमी से जूझ रहा है और इस वजह से अब वह अपनी प्रॉपर्टी बेचने की तैयारी में है. 

"महोदया" 
क्या मेधा का स्थान भी अब बिकने लगा? आखिर JNU की संपदा बेचकर पैसा बनाने की नौबत क्यों आई? कैसे आई? 2013 में जब पीएचडी के लिए मेरा एनरोलमेंट D U हुआ था तब इस तरह "फंड क्राइसिस वॉयस"नहीं थी आखिर विगत 10 वर्षों में क्या हो गया? हम 5 ट्रिलियन इकोनामी की तरफ बढ़ रहे हैं विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं और दूसरी तरफ फंड क्राइसिस से जेएनयू की संपदा बेचने की नौबत आ गई?
'महोदया' 
जेएनयू टीचिंग'लर्निंग'एंड रिसर्च'का स्थान मात्रा नहीं है वरन 'ह्यूमैनिटी'एंड साइंटिफिक टेंपर"की तलाश का  'विख्यात केंद्र'है.
 'महोदया' 
भगत सिंह गांधी अंबेडकर के इस महान मुल्क को हमारी चोर लुटेरे अपराधी पीढ़ी कितना मारेगी? 70 के दशक में जब देश गरीब था तब JNU के लिए थनाभाव नहीं था और आज जब हम विकसित राष्ट्र बनने और हैं,JNU को अपनी संपदा बेचनी की नौबत आ गई? देश के प्रधानमंत्री 9000 करोड़ की विमान से चलते हैं चंदे एवं लूट के पैसे से मंदिर मूर्तियां कॉरिडोर निर्मित करते हैं एक लाख करोड़ की मुंबई दिल्ली एक्सप्रेसवे निर्मित कराते हैं प्रत्येक कमिश्नरी में एक नेशनल इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्मित करते हैं इंटरनेशनल सुविधाओं से युक्त वंदे भारत ट्रेन चलते हैं और दूसरी तरफ धनभाव के कारण  JNU की संपदा बेचने की नोवत?और खरीदार भी वही लुटेरे जिन्होंने हमें लूटकर संपत्ति इकट्ठा की है..संपत्ति बेचने का निर्णय 'विघटन: एवं बेशर्म लूटपाट' है निर्णय तत्काल रद्द करें.

JNU भारत का "रन शैक्षिक केंद्र'' है. अपनी मेधा' एवं शोध' के लिए विख्यात है और सबसे बड़ी बात है सब कुछ 'इंडीजीनस' स्कॉलर्स में 80% गरीब एवं पिछड़े इलाके एवं घरों के हैँ.

'महोदया "
अब सरकार का जुर्म असहनीय हो चुका है हमारी  पेट 'पर पथ' पर' कर' शिक्षा' चिकित्सा: रेल 'महंगी कीमतों पर बाजार में बेचना हमारी निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स और सरकारी सेवकों के बुढ़ापे का "प्राण पेंशन 'जप्त करना. यह जीवन 'एवं स्वतंत्रता' के अधिकार की हत्या है देखते ही देखते हमारी मेधा का केंद्र JNU बेचने की नौबत आ गई?क्या हम यही देखने के लिए पैदा हुए हैं? क्या हमें आजादी एवं संविधान इसी के लिए मिला है? मैं किसी ऐसी सरकार को नहीं देखना चाहता  जो हमारे जीवन हमारी स्वतंत्रता शिक्षा चिकित्सा संचार हमसे छीनती है.

 कॉपी :-- कुलपति जी' JNU माननीय प्रधानमंत्री गृहमंत्री एचआरडी मंत्री
 परम सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय

 डॉ संपूर्णानंद  मल्ल                  पूर्वांचल गांधी
पीएचडी इन आर्कोलॉजी' हिस्ट्री' हिस्ट्री डिपार्टमेंट' फैकल्टी ऑफ़ सोशल साइंसेज' देलही यूनिवर्सिटी
सत्यपथ PS शाहपुर गोरखपुर

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