हिन्दी को शाश्वत जीवनशैली के रूप में अपनाया जाना चाहिए --डाॅ० रत्न

हिन्दी को शाश्वत जीवनशैली के रूप में अपनाया जाना चाहिए --डाॅ० रत्न 

प्रतापगढ़ संवाददाता गणेश राय 
सृजना साहित्यिक संस्था उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में हिन्दी पखवाड़े के अन्तर्गत काव्य गोष्ठी एवं विमर्श कार्यक्रम का आयोजन शारदा संगीत महाविद्यालय के प्रांगण में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार दयाराम मौर्य रत्न ने कहा कि हिन्दी विश्व की सर्वाधिक समृद्ध भाषा है।इसे शाश्वत जीवनशैली के रूप में अपनाया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ट्रस्टी आनंद मोहन ओझा ने कहा कि हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करना हर भारतीय का नैतिक कर्तव्य है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अमित शुक्ला ने कहा कि हिन्दी हर हिन्दुस्तानी के माथे की गौरवशाली बिंदी है।इसके प्रयोग पर गर्वानुभूति करें।

विशिष्ट अतिथि राजीव कुमार आर्य ने कहा कि हिन्दी हिन्दुस्तान की पहचान और शान है।
कार्यक्रम में प्रेम कुमार त्रिपाठी प्रेम,अमरनाथ गुप्ता बेजोड़,कुंजबिहारी लाल मौर्य काकाश्री,अनिल कुमार निलय,
राजेश हर्षपुरी,मनप्रीत कौर,सत्येन्द्र कुमार शुक्ला,अजीत ने काव्यपाठ किया।

कार्यक्रम में हिन्दी को राजभाषा से राष्ट्रीय भाषा बनाने की पुरजोर मांग करते हुए संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम का संचालन अनिल कुमार निलय ने किया।

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