राष्ट्रपति महोदया"'मैं अंधेरे में डूबा हूं' मुझे अंधेरे से बाहर निकलिए'

दिवाली 31अक्टूबर 2024
 
"महामहिम राष्ट्रपति"
"महोदया"
       
       'मैं अंधेरे में डूबा हूं' मुझे अंधेरे से बाहर निकलिए'
"महोदया"
"दिवाली की खुशियां एवं बधाइयां आ रही हैं लेकिन मैं उसमें शामिल नहीं हो पा रहा हूं मेरा मन उदास उल्लास रहित है
 22 करोड लोगों के यहां मोमबत्ती नसीब नहीं है" इस देश में क्या हो रहा है? इस देश का कोई मालिक नहीं है क्या?अयोध्या में 28 लाख दिए जलाने की क्या जरूरत है ? 22 जनवरी 24 को 'पाखंड प्राण प्रतिष्ठा में नरेंद्र मोदी मा प्रधानमंत्री ने'22 लाख दिए जलाए थे तब भी मैंने सत्याग्रह कर ऐसा न करने का आग्रह किया था. परंतु मैं निराश होता जा रहा हूं ऐसा लगता है सत्ता के भूखे भेड़िए गांधी भगत सिंहअंबेडकर कलाम के इस महान मुल्क की एकता रूपी धागे को महफूज नहीं छोड़ेंगे 

"महोदया"
अयोध्या में हमनें 28 लाख दिए जलाकर 22 करोड़ कुपोषितो के खाने का तेल जला दिया है बहुसंख्यक हिंदुओं के थोड़े से लोग भारत को अंधेरे में धकेल रहें है इतिहास के पन्ने में ऐसी दीपावली मनाए जाने का कोई उल्लेख नहीं है.

'महोदया'
मेरे अंदर उल्लास"हर्ष'नहीं है हम बेरोजगारी'गरीबी'महंगाई' के 'अपराधिक वातावरण' में जी रहे हैं हमारे पेट"एवं पथ"पर कर लगा दिया गया है 80 करोड़ कंगाल एवं 22 करोड़ कुपोषित जिनके पास फूटी कौड़ी नहीं है उनके बच्चे किसी भी प्रकार के शिक्षा से वंचित है घोर अंधेरे में डूब चुके हैं.

'महोदया'
संसार की सबसे बड़ी लुटेरी'शोषक'सरकार से यही निवेदन करता हूं कि आटा चावल दाल तेल दूध दही दवा पर टैक्स हटा लें निजी गाड़ियों पर टैक्स समाप्त कर दें शिक्षा चिकित्सा रेल 'एक समान निशुल्क कर दे ताकि संविधान न जानने वाले 90% संविधान में जी सकें मेरे जैसे लोगों के मन में उल्लास हर्ष समाये

डॉ संपूर्णानंद मल्ल      पूर्वांचल गांधी
पीएचडी इन आर्कियोलॉजी हिस्ट्री  देलही यूनिवर्सिटी
9415418263

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