"महा राष्ट्रपति"
महोदया"
संविधान दिवस' 26 नवंबर 'सविनय अवज्ञा' प्रधानमंत्री आवास नई दिल्ली पेट' पथ' शिक्षा' चिकित्सा' रेल' पर कर" एवं कीमतों"में वृद्धि के आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स उसी प्रकार तोडूंगा जैसे गांधी ने क्रूर' लुटेरी'अंग्रेजी हुकूमत का नमक कानून तोड़ा था.
पेटपर"पथपर टैक्स लगाने वाली क्रूर एवं लुटेरी सरकार विकास का दावा करती है जिस देश में 80 करोड़ कंगाल 5 किलो अनाज में अपना जीवन तलाश रहे हैं,22 करोड़ कुपोषित है, वहां की सरकार आटा चावल दाल तेल चीनी दूध दही दवा पर टैक्स लगाती है और कहती है विकास हो रहा है।
निजी गाड़ियों पर पथकर लगती है शिक्षा चिकित्सा रेल में कर एवं कीमतें बढ़ती है।बेरोजगारी ऐसी की युवा'म्यूट'हो चुका है
सैकड़ो पत्र एवं ज्ञापनों का सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया।संवाद' एवं जबाबदेही' के हमारे लोकतांत्रिक अधिकार की हत्या कर दी.पुनःनिवेदन करता हूं कि आटा चावल दाल तेल चीनी दूध दही दवा जो प्राण'पेट जीवन है,पर टैक्स समाप्त कर दे निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स जो हमारी स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की हत्या है समाप्त कर दे या प्रत्येक टोल पर दोनों तरफ एक-एक टोल लेन फ्री कर दें ताकि जिनके पास पैसे न हों वह भी कहीं आने-जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से वंचित न रह रहें।बेशर्मी अनुशासनहीनता एवं समानता के अधिकार की हत्या की पराकाष्ठा तो तब हो गई जब राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सांसद विधायक सहित तीन दर्जन VIP की गाड़ियों पर टोल टैक्स नहीं लगता जबकि कर्ज आदि लेकर बड़े मुश्किल से एक गाड़ी खरीदने वाले अभावग्रस्त लोगों की निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स लिया जाता है.शिक्षा चिकित्सा रेल 'एक समान"शुल्क रहित कर दें,यानी गरीब अमीर के बच्चे एक विद्यालय में पढ़े एक चिकित्सालय में इलाज हो एक ट्रेन में यात्रा करें। गरीबों को घरेलू गैस मुफ्त दे ताकि उनके बच्चे एवं वृद्ध खाना पा सकें। जीवन की उक्त ज़रूरतें माननीयों को फोकट में मिलती हैं फिर लोगों सें टैक्स क्यों? यह समानता की मौलिक अधिकार की हत्या है।
25 नवंबर के पूर्व सरकार जीवन"स्वतंत्रता' की हत्या करने वाले सभी "कर"समाप्त कर दे. 26 नवंबर को इसे तोडूंगा
प्रति :-- सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय
मा.राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
मा.प्रधानमंत्री गृह मंत्री वित्त मंत्री सड़क परिवहन मंत्री रेल मंत्री।
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