एटा में लगा पुस्तक मेला अन्तिम दिन भारी भीड़, हुआ पत्रकार सम्मेलन, आज भी प्रिंट मीडिया ही विश्वसनीय-- श्याम नारायण

एटा में लगा पुस्तक मेला अन्तिम दिन भारी भीड़, हुआ पत्रकार सम्मेलन, आज भी प्रिंट मीडिया ही विश्वसनीय-- श्याम नारायण

एटा उत्तर प्रदेश के एटा जनपद के मुख्यालय स्थित जीआईसी  मैदान में  पिछले 9 वर्षो से लग रहे एटा पुस्तक मेले का आयोजन किया गया कार्यक्रम के आयोजक एआरएम संजीव यादव है जिनके द्वारा अपने पिता बृजपाल सिंह यादव की स्मृति में एटा पुस्तक मेले का आयोजन प्रारंभ किया गया तव से लगातार लग रहा पुस्तक मेला नई ऊंचाइयों को छूता चला आ रहा है मेले में अनेको प्रमुख  प्रकाशनों द्वारा अपने अपने स्टाल लगाये जा रहे हैं।

  जिसमें आज कार्यक्रम के अन्तिम दिन मेले के मंच पर एक पत्रकार सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख रूप से एम एल सी मानवेंद्र सिंह, एडीजी अंशुमान यादव वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्याम नारायण सिंह, मुख्य विकास अधिकारी अवधेश बाजपेयी संयुक्त प्रेस क्लब के प्रदेश अध्यक्ष सुनील मिश्रा वरिष्ठ पत्रकार राहुल गुप्ता वरिष्ठ पत्रकार /प्रधानाचार्य विजय मिश्रा प्रेस क्लब एटा के अध्यक्ष देवेश पाल
हिन्दुस्तान के प्रतिनिधि शैलेन्द्र उपाध्याय अतिथि के रूप में शामिल हुए और सभी ने अपने विचार व्यक्त किये। आज के कार्यक्रम के संयोजक व संचालन एवीपी के वरिष्ठ पत्रकार राकेश भदौरिया ने किया।
कार्य क्रम को सर्वप्रथम वृंदावन राहुल गुप्ता ने संबोधित करते हुए आज के कार्यक्रम के विषय मीडिया की वर्तमान में प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। 
कार्य क्रम को वरिष्ठ पत्रकार सुनील मिश्रा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज पत्रकारिता के रूप में परिवर्तन हो रहा है पहले सिर्फ प्रिंट मीडिया की ही पत्रकारिता हुआ करती थी किन्तु अब इलैक्ट्रानिक और शोसल मीडिया की पत्रकारिता भी इसमें शामिल हो गयी है। जिसमें से इलैक्ट्रानिक व शोसल मीडिया की विश्वसनीयता कम है क्योंकि कि यह टीआरपी बढ़ाने के लिए जनता को कुछ भी दिखा सकते हैं। अब मीडिया घराने व पत्रकारों की भी पार्टी हैं तथा अपनी आस्था के हिसाब से वह पत्रकारिता करने लगे हैं जो गलत है हमें निष्पक्ष और विश्वसनीयता के साथ पत्रकारिता करने की आवश्यकता है हमें सच का आइना ही दिखाना चाहिये इसके लिए चाहे माफिया, कार्यपालिका, न्यायपालिका कोई भी कुछ भी सोचे कोई नाराज हो जाए पत्रकारिता एक कांटों का ताज है न की आय का साधन है प्रिंट मीडिया का कोई भी अस्तित्व नहीं है मिटा सकता वह ही सबसे विश्वसनीय है थी और रहेगी। 
वही आगरा स्नातक खंड क्षेत्र के एमएलसी मानवेंद्र सिंह ने कार्यक्रम के दौरान कहा आज की पत्रकारिता सिर्फ व्यावसायिक पत्रकारिता रह गई है बड़े-बड़े घरानों ने अखबार निकाल रखे हैं। आज की पत्रकारिता में खबर चलाना नहीं है, खबर बचाना है, खबर को छुपाना है, आज के समय में अगर हमें पत्रकारिता की साख बचानी है तो हमें खबर छुपाने वाले नहीं खबर दिखाने वाले पत्रकार बनना चाहिए। पहले पत्रकार हुआ करते थे जो पूरे दिन दौड़कर खबरें लाते थे फिर उसे छापा खाने में छाप कर बांटते थे उन खबरों की इतनी विश्वसनीयता थी कि जो कोई उसे पढ़ता था वह उस पर विश्वास करता था उसी के चलते कई पत्रकारों को  हत्याओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने साबरमती प्रकरण पर चर्चा करते हुए कहा कि  जब ट्रैन में कारसेवकों की हत्या की खबर खुलासा होता है जिसे कुछ मीडिया हाउसों ने गलत  दिखाया था जांच में उसकी बिल्कुल विपरीत सच्चाई निकलती है कार सेवकों को जलाने की घटनाओं को कुछ मीडिया हाउस द्वारा सिर्फ एक दुर्घटना बता कर छापा गया था। उन्होंने कहा आज तो सब चीज गूगल पर ही मिलती है यूट्यूब पर मिलती है आप कुछ भी चाहे सब कुछ मिल जाएगा इसलिए उस पर भरोसा नहीं कर सकते यूट्यूब व्यक्तिगत लोगों की भावनाओं को उजागर करने वाला प्लेटफार्म है। प्रिंट मीडिया आज भी विश्वसनीय के साथ खबर को छापने वाला प्लेटफार्म है क्योंकि वह उसके लिए छपी हुई खबर के लिए जिम्मेदार है।


आईपीएस एडीजीपी जीआरपी दिल्ली अंशुमान  यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अगर में आईपीएस नहीं होता तो मैं पत्रकार होता मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई की  है तथा नौकरी से पूर्व मुझे नवभारत टाइम्स, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, इकोनामिक टाइम्स अखबार से ऑफर भी आया था किंतु मेरे पिता  चाहते थे कि मैं आईएएस या आईपीएस बनू मैंने मेहनत की और मैं आईपीएस बन गयाअभी भी पिछले वर्ष मेरी वेटी पूंछ रही थी आप आईपीएस नही होते तो क्या करते मैने कहा में पत्रकार बनता। पत्रकार का काम बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है वर्तमान प्रवेश में अब चुनौतियां और भी बहुत बढ़ गई हैं क्योंकि पहले तो  सिर्फ अखबार आता था टीवी चैनल होते थे लेकिन अब एक सोशल मीडिया  न्यूज़ स्टंट न्यूज़ है इसका कोई वेरिफिकेशन नहीं होता वह सच है या गलत है अखबार में सही खबर जाए सभी चुनौतियों में हमारे लिए आवश्यक हो जाता है कि हम खबर की खोज में इधर-उधर नभटके हैं और जो सच हो वही सब तक पहुंच सकें अंत में उन्होंने कार्यक्रम के आयोजक संजीव यादव व उनकी टीम को धन्यवाद दिया

मुख्य विकास अधिकारीअवधेश कुमार बाजपेई ने कहा एटा जैसी जनपद में पुस्तक मेला का आयोजन होना एक बहुत बड़ी बात है पुस्तकों को पढने से ही बच्चों  असली शिक्षा  मिलती है हमेआज भी प्रातः उठकर अखबार पढने के लिए चाहिए हमें उसकी आदत सी पढ गयी है। आज भी चाहे प्रिंट मीडिया हो चाहे इलैक्ट्रानिक मीडिया हो चाहे शोसल मीडिया हो विश्वसनीयता सिर्फ प्रिंट मीडिया की ही है। 

 वहीं कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्याम नारायण सिंह ने कहा कि इस पुस्तक मेले का जो आयोजन किया जा रहा है आज के परिपेक्ष में आज की दिशा और काल की परिस्थितियों के अनुरूप बहुत ही गंभीर है पुस्तकें जो है बच्चों के चरित्र निर्माण व संस्कार का निर्माण करती हैं कारण यह है की व्यक्तित्व का निर्माण आपकी अभिव्यक्ति से  आता हैऔर अभिव्यक्ति तभी आएगी जब आप किताबों को पड़ेंगे किताबों के सभी गुजरेगे तो आपका शब्द भंडार भी विस्तृत होगा लेकिन आज के दौर में मोबाइल के दौर में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसका किताबों से प्रेम रह गया हो न ही साहित्य जगत में न ही कला जगत में हर व्यक्ति  अब  गूगल में देखकरके आगे चल रहा है आज अगर देखा जाए तो संस्कार, संवेदनशीलता बिल्कुल नहीं समाप्त है आजके बच्चों को एक पत्र लिखने के लिए दे दिया जाए तो वह पत्र लिख नहीं पाएंगे क्योंकि मोबाइल पर अब चार लाइन का मैसेज जा रहा है चार लाइन का मैसेज आ रहा है अगर आपके संस्कार अभिव्यक्ति अभ्यंजन शब्दों का प्रयोग करना है तो पढ़ना पड़ेगा आज की पीढ़ी किताबों से बहुत दूर जा रही है यह चिंता का विषय है हर क्षेत्र में व्याप्त हो रहा है चाहे ज्ञान विज्ञान का क्षेत्र हो चाहे साहित्य का क्षेत्र चाहे कला जगत का क्षेत्र हो उन्होंने कहा लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ में सिर्फ स्वतंत्रता की बात की जाती है बाकी किसी में नहीं बाकी सब अधिकार और कर्तव्यों में बंधे हुए हैं लेकिन जो पत्रकारिता का समाज को आईना दिखाने का संयुक्त रूप से  कार्य होता है पत्रकारता का होता है जबतक सही आइना नहीं आयेगा बाकी के तीनों स्तंभ के लिए, मनमानी के रास्ते खुल जाएंगे इतना आप समझ लीजिए यह स्वतंत्रता की सीमा रेखा है स्वतंत्रता शब्द आया कहां से बड़ी आसानी से कह सकते हैं स्वतंत्रता हिंदुस्तान में है स्वतंत्रता हमारा मूलभूत अधिकार है लेकिन स्वतंत्रता की कल्पना आई कैसे यह स्वतंत्रता ऐसी वैसी नहीं है संकल्प की स्वतंत्रता है धन कमाने के लिए हमें स्वतंत्रता है लेकिन लूट और डकैती करेप्शन करके  हम धन कमाते हैं यह स्वतंत्रता नहीं है। जब विभिन्न विकल्पों में से आप सोच समझकर एक विकल्प का चुनाव करते हैं वह विकल्प संकल्प बनता है यही स्वतंत्रता की सबसे बड़ी मर्यादा है इसीलिए चतुर्थ स्तंभ कलाकार भी कहा जाता है, । हर व्यक्ति अपना बचाव अपनी प्रशंसा चाहता है अभी पूर्व वक्ता ने कहा था  कि अगर हम किसी के पास जाएंगे तो वही बात करेंगे जो उसे अच्छी लगे अगर आप किसी के पास जाएं तो वही बात करें जो समाज के लिए उपयोगी हो कल्याणकारी  और सामाजिक दिशा निर्देश देती हो यह हमारी पत्रकारिता हमारी स्वतंत्रता का आदर्श मापदंड है यह मानवीय स्वभाव है जो उनके लिए लेकिन आपका दायित्व है आप उनके लिए मत जाइए आप अपने लिए भी मत जाइए जो समाज के लिए सही दिशा देता हो उसके लिए जाइए। 
कार्यक्रम को पत्रकार देवेश पाल सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज का युग शोसल मीडिया का युग है शोशल मीडिया ने सभी को पीछे छोड़ दिया है इलैक्ट्रानिक मीडिया व शोसल मीडिया जो खबर तुरंत दिखादेता है वह खबर प्रिन्ट मीडिया 24 घंटे बाद दिखा पाता है। 
पत्रकार शैलेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि आजकल जिसके हाथ में है मोबाइल है वह पत्रकार है आजकल भ्रामक खबरे भेजी जा रही है पत्रकारिता करना काफी कठिन है।
कार्यक्रम में प्रमुख रुप से चल आयोजक संजीव यादव, आर वी गुप्ता, अर्पित यादव  अकरम खान संजय शर्मा आदि ने भारी संख्या में प्रिंट इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों ने भाग लिया साथ ही गोष्ठी में विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं अध्यापक सामाजिक कार्यकर्ता भारी संख्या में मौजूद रहे।

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